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    Summer Olympics: रोज की आदत बनी ताकत, मां-बाप ने भी निभाया भरपूर साथ, अब विश्व स्तर पर छा जाने को तैयार कल्पना

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Mishra
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 05:56 PM (IST)

    Summer Olympics Cyclist Kalpana Jena कटक जिले में 19 वर्षीय कल्पना जेना घर से स्कूल जाने के लिए साल 2017 से लगातार साइकिल का इस्तेमाल करती थीं लेकिन शायद उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि उनकी यह आदत कल्पना की जिंदगी को पलटकर रख देगी।

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    Special Summer Olympics Cyclist Kalpana Jena Story

    नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। कटक जिले में 19 वर्षीय कल्पना जेना घर से स्कूल जाने के लिए साल 2017 से लगातार साइकिल का इस्तेमाल करती थीं, लेकिन शायद उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि उनकी यह आदत कल्पना की जिंदगी को पलटकर रख देगी। स्पेशल समर ओलंपिक में कल्पना साइकिलिंग के दम पर विश्व स्तर पर अपनी नई पहचान बनाने को तैयार हैं। हालांकि, यहां तक पहुंचने का रास्ता कल्पना के लिए बेहद मुश्किल रहा।

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    साइकिल चलाने की आदत आई काम

    कटक में लोकल अथॉरिटी द्वारा लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित किया जाता था। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की तरफ से साइकिल भी मुहैया कराई जाती थी। हर रोज साइकिल चलाकर स्कूल जाने वालीं कल्पना को इस बात को अंदाजा भी नहीं था कि उनकी यह आदत एक स्किल बन जाएगी, जो ग्लोबल स्टेज पर उनको नई पहचान दिलाने में मदद करेगी। अपने बोलने के तरीके को लेकर कल्पना का काफी मजाक बनाया जाता था, जिसके वजह से वह या तो स्कूल में रहती थीं या फिर घर में रहकर अपनी मां के साथ घर के कामों में हाथ बंटाया करती थीं। अंदर ही अंदर कल्पना भी इस बात को जानती थीं कि वह बाकी बच्चों की तरह खुद को एक्सप्रेस नहीं कर पाती हैं। ऐसे में उनको भी अपने टैलेंट की पहचान करने में काफी समय लगा।

    2017 के समर ओलंपिक में हुई कल्पना की ट्रेनिंग

    साल 2017 में कल्पना को उनके मेंटोर बिबेकानंद मोहंती ने सर्व शिक्षा अभियान के चलते पहली बार स्पेशल ओलंपिक में शामिल किया। कल्पना को एथलेटिक, बैडमिंटन, फुटबॉल और रोलर स्केटिंग जैसे खेलों की ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने स्कूल में खेलों में हिस्सा लेना जारी रखा, लेकिन महामारी के चलते उनकी रोजाना की प्रैक्टिस पर ब्रेक लग गया। हालांकि, उन्होंने साइकिलिंग करना जारी रखा। कल्पना ऐसे घर से ताल्लुक रखती हैं, जहां उनके परिवार को हर दिन की रोजी-रोटी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। उनके माता-पिता खेतों में काम करते हैं, ताकि घर के छह सदस्यों का पेट पाल सकें। हालांकि, कल्पना के सपने को पूरा करने के लिए उनके माता-पिता ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कल्पना के अंदर आए बदलाव से उनके माता-पिता बेहद खुश हैं।

    कई स्पोर्ट्स कैंपस में हिस्सा लेने के साथ-साथ विश्व खेलों में हिस्सा लेने जा रहीं कल्पना की सफलता से उनके घर का माहौल भी बदल चुका है। कल्पना में अब ज्यादा आत्मविश्वास दिखाई देता है, जो लोगों से बातचीत करते हुए साफतौर पर झलकता है। कल्पना नियमित तौर पर प्रैक्टिस करती हैं और अपने फिटनेस सेशन को भी मिस नहीं करती हैं। कल्पना देश का प्रतिनिधत्व करने को लेकर काफी उत्सुक भी हैं। दिसंबर 2022 में हुए नेशनल गेम्स में कल्पना ने नई बाइक पर प्रैक्टिस की थी और वह अगले कैंप में एकबार फिर इसको दोहराने को तैयार हैं।