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    Special Olympics: बच्चे करते थे बुली, मां ने बेटी के लिए छोड़ दी नौकरी, अब Prathna हैं तैराकी की मिल्खा

    By Jagran NewsEdited By: Umesh Kumar
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 06:17 PM (IST)

    भारत के एथलीट स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। इसका आयोजन 17 जनू से 25 जून के बीच बर्लिन में होगा। भारत के 198 एथलीटों का एक दल इस प्रतिष्ठित इवेंट में 16 खेलों में हिस्सा लेगा।

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    स्विमिंग करते छोटे बच्चे की सांकेतिक तस्वीर।

    नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। भारत के एथलीट स्पेशल ओलंपिक (Special Olympics) वर्ल्ड समर गेम्स के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। इसका आयोजन 17 जनू से 25 जून के बीच बर्लिन में होगा। इस ओलंपिक में चंडीगढ़ की प्रार्थना भी हिस्सा लेंगी। प्रार्थना बौद्धिक अक्षमता के कारण सही से बोल नहीं पाती हैं।

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    प्रार्थना स्विमिंग करती हैं। जब वह पांच साल की थीं, तभी से उन्हें बोलने की समस्या हुई। साथ ही उनकी बौद्धिक अक्षमता ने उनके माता-पिता को हैरान कर दिया। उनकी मां अंजू भाटिया ने उन्हें नर्सरी तक पढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहीं। उनके ट्यूशन की भी व्यवस्था की गई, लेकिन कोई उन्हें पढ़ाने के लिए राजी नहीं हुआ। इसके अलावा परिवार वालों ने प्रार्थना के माता-पिता का साथ देने से इनकार कर दिया।

    बेटी के लिए मां ने छोड़ी नौकरी

    तैराकी में प्रार्थना की रुचि को देख अंजू ने फैसला किया कि वह बेटी को सबल बनाएंगी। इसलिए अंजू ने पत्रकारिता की नौकरी छोड़ दी। प्रार्थना ने रंग और वस्तुओं को स्पर्श के माध्यम से सीखना शुरू किया। प्रार्थना की मां कहती हैं, "उसने यह समझने के लिए बाल्टी को छुआ कि यह क्या है। रंग समझाने के लिए मैंने उसे लाल रंग की टी शर्ट पहनाई। मैंने उसे समझा और आश्वस्त महसूस किया कि मैं ही उसे आगे बढ़ने और जीवन का आनंद लेने में मदद करूंगा, क्योंकि कोई और मेरी अनमोल बेटी को समझ भी नहीं सकता था।"

    "वह तैराकी की मिल्खा है"

    माता-पिता से लगातार बातचीत से प्रार्थना कुछ हद तक बोल पाने में सफल हुई है। जबकि तैराकी और साइकिल चलाना उसकी ताकत बन गई है। अंजू बताती हैं कि उसके स्कूल कोच ने कहा था, "वह तैराकी की मिल्खा है।" प्रार्थना को लोग पहले ताने मारते थे। उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बोलते थे। अब खेल ने उसे नई पहचान दी है। उसे सकारात्मक ऊर्जा मिली है।

    बर्लिन में मेडल जीतने का है सपना

    प्रार्थना अब अपने माता-पिता के बिना भी कई शहरों की यात्रा कर चुकी है। साथ ही तैराकी में अपना कौशल दिखाना जारी रखा है। प्रार्थना की पहली हवाई यात्रा को याद करते हुए अंजू ने बताया, "जैसे वह मुझसे कह रही थी कि मम्मी मैं उड़ सकती हूं।" बर्लिन खेलों के लिए प्रार्थना कोच शीतल की देखरेख में तैयारी कर रही है। वह दिन में कम से कम दो बार तैराकी की प्रैक्टिस करती है।