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    Special Olympics: सरस्वती ने बर्लिन में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल, 500 मीटर रोलर स्केटिंग में हासिल की जीत

    By Jagran NewsEdited By: Umesh Kumar
    Updated: Fri, 23 Jun 2023 09:24 PM (IST)

    हरियाणा में पली-बढ़ी सरस्वती को पढ़ने लिखने और याद करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। इससे अक्सर उसके स्कूल के शिक्षकों को बड़ी निराशा होती थी। वे उसे डांटते उस पर पढ़ने के लिए और अधिक दबाव डालते थे लेकिन कोई फायदा नहीं होता था। तब बौधिक रूप से अक्षम बच्चों के साथ काम करने वाली आराधना मतानिया उनसे मिलीं।

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    Saraswati, सरस्वती ने बर्लिन में जीता गोल्ड मेडल।

    नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। बर्लिन में खेले जा रहे स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में हरियाणा की सरस्वती ने 500 मीटर रोलर स्केटिंग इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। 15 साल की सरस्वती ने भारत को बर्लिन में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया। मैच के दौरान कोच सरस्वती का हौसलाअफजाई करते रहे।

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    हरियाणा में पली-बढ़ी सरस्वती को पढ़ने, लिखने और याद करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। इससे अक्सर उसके स्कूल के शिक्षकों को बड़ी निराशा होती थी। वे उसे डांटते, उस पर पढ़ने के लिए और अधिक दबाव डालते थे, लेकिन कोई फायदा नहीं होता था। तब बौधिक रूप से अक्षम बच्चों के साथ काम करने वाली आराधना मतानिया उनसे मिलीं। यहां से सरस्वती के लिए चीजें और हालात बदलने लगे।

    गरीब परिवार से है संबंध

    उन्होंने उसे खेलों के प्रति आकर्षित किया। इन वर्षों में सरस्वती ने एथलेटिक्स, फ्लोरबॉल और कई अन्य खेलों में हाथ आजमाया, लेकिन जब उसने पहली बार स्केट्स पहनी तो उसकी प्रतिभा सबके सामने आ गई। उसके मजदूर पिता, उसे स्केट्स दिलाने की स्थिति में नहीं थे। उसे किसी अकादमी में दाखिला दिलाना तो दूर की बात थी।

    बहरहाल, मतानिया की निरंतर सलाह और लगातार बातचीत ने माता-पिता के विचारों को बदल दिया। स्पेशल ओलंपिक भारत द्वारा आयोजित नेशन हेल्थ फेस्टिवल 2022 में, सरस्वती के वर्तमान कोच ने उसकी खोज की और उसे एसओ भारत प्रोग्राम में ले आए। कैंप में नियमित सहायता के साथ-साथ ट्रेनिंग और बेहतर स्केट्स से उसके परफार्मेंस में काफी सुधार हुआ।

    कोच ने बढ़ाया हौसला

    कोच अनिल कुमार कहते हैं, "सरस्वती स्पेशल ओलंपिक की भावना का प्रतीक है। उसे समाज द्वारा हाशिए पर रखा गया था, जो उसे उपहार में मिली क्षमता को समझने में असमर्थ थे। उसकी मदद करने वाले अन्य लोगों द्वारा ध्यान दिए जाने से अब उसे स्वर्ण पदक मिल गया है। वह नए आत्मविश्वास और जीवन की खूबसूरत यादों के साथ घर वापस जाएगी।"