सिरियस गेम, स्ट्रॉन्ग बॉन्ड: गोल्फ के नए सितारे रक्षित और सुखमन लिख रहे हैं नई इबारत
दिल्ली गोल्फ क्लब में हुए ऊषा डीजीसी चैंपियनशिप में दो युवा गोल्फरों रक्षित दहिया और सुखमन सिंह के बीच शानदार प्रतिस्पर्धा और दोस्ती की मिसाल देखने को मिली। दोनों ने एक-दूसरे के खेल की तारीफ की और साथ ही अपने गोल्फ सफर चुनौतियों और सुधार के पहलुओं पर भी खुलकर बात की।

अभिषेक उपाध्याय, स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। खिलाड़ी जब मैदान पर उतरते हैं तो उनकी कोशिश होती है अपने सभी प्रतिद्वंद्वी को पीछे कर जीत हासिल करना। इसके लिए वह अपनी पूरी जान झोंक देते हैं। गोल्फ जैसे खेल में, जहां व्यक्तिगत खेल मायने रखता है वहां ऐसी प्रतिद्वंद्विता और बढ़ जाती है। हालांकि, कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिनके बीच हेल्दी कॉम्पटीशन देखने को मिलता है और खिलाड़ी एक दूसरे का सम्मान करते हैं। हाल ही में दिल्ली गोल्फ कोर्स में खत्म हुए ऊषा डीजीसी चैंपियनशिप बॉयज कैटेगरी में विजेता रहे रक्षित दहिया और उपविजेता रहे सुखमन सिंह के बीच ऐसा ही सम्मान और दोस्ती देखने को मिलती है।
दोनों ने एक साथ भारत का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन जब व्यक्तिगत स्पर्धा की बात आती है, तो वे एक-दूसरे को हराने के लिए अपना पूरा दमखम लगा देते हैं—बिना दोस्ती को प्रभावित किए। कह सकते हैं कि दोनों के बीच एक सकारात्मक और प्रेरणादायक प्रतिस्पर्धा है।
एक-दूसरे के लिए सम्मान
सुखमन से जब रक्षित के खेल के बारे में पूछा तो उन्होंने दैनिक जागरण ऑनलाइन से बात करते हुए बेहद सम्मान के साथ कहा, "वह एक शानदार खिलाड़ी हैं। ये पहली बार नहीं है जब मैं उनके साथ खेल रहा हूं। हम इंडियन टीम के लिए भी एक साथ खेल चुके हैं। उनकी अच्छी बात ये है कि वह ज्यादा मिस नहीं करते।"
इस टूर्नामेंट में अपने खेल को लेकर सुखमन ने कहा, "मैं अपने गेम से काफी खुश हूं। मेरे प्लेऑफ में खेलने का चांस नहीं था। मैंने अपनी उम्मीद से अच्छा खेला।"
होम कोर्स का फायदा
ये टूर्नामेंट दिल्ली गोल्फ क्लब में खेला गया था जो रक्षित का होम कोर्स है और उनका कहना है कि अगर आप अच्छे से खेलते हैं तो होम कोर्स पर खेलने का फायदा मिलता है। उन्होंने अपने खेल और होम कोर्स को लेकर कहा, "मैं पांच साल से इस कोर्स पर खेल रहा हूं। इससे फायदा ये होता कि आपको पता है कि ग्रींस कैसे हैं। आपको लोकल नॉलेज होती है। इस टूर्नामेंट में मैंने जो खेल दिखाया उससे मैं खुश हूं। उम्मीद है कि आगे भी इसे जारी रखूंगा।"
पटिंग बनी चुनौती
जब दोनों से अपने खेल में सुधार करने वाले पहेलू के बारे में पूछा तो दोनों का जवाब एक ही था, 'पटिंग'। पटिंग आमतौर पर गोल्फ में काफी चैलेचिंग मानी जाती है और जो इसे बेहतर करता है वो आगे बढ़ता है। सुखमन ने कहा, "पटिंग 90 परसेंट गोल्फ है। हर कोई लॉन्ग गेम खेल सकता है, लेकिन कुछ ही लोग पटिंग अच्छा करते हैं और यही रेस्ट से बेस्ट को अलग करती है।"
गोल्फ से जुड़ने की शुरुआत
दोनों को ही गोल्फ काफी कम उम्र में मिल गया। सुखमन को ये खेल जहां विरासत में मिला है तो रक्षित को उनके फैमिली फ्रैंड ने इस खेल से रूबरू कराया। रक्षित ने कहा, "मेरे फैमिली फ्रैंड गोल्फ खेलते थे। वह ही मुझे इस खेल में लेकर आए। 2016 में मैंने इस खेल को शुरू किया। तब में इसे एक हॉबी की तरह लेता था। 2021 में मैंने इसे सिरियस लेना शुरू किया और तब से मैं इसे अपना करियर मानकर खेल रहा हूं। इस दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया है और वह जो मेरे लिए कर सकते थे किया है।"
सुखमान पूर्व भारतीय गोल्फर सिमरजीत सिंह के बेटे हैं और उन्हें ही देखकर गोल्फ में आए। सुखमान कहते हैं कि वह आज इस खेल में जहां तक पहुंचे हैं अपने पिता के कारण ही पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, "मेरे पिता खुद गोल्फर रहे हैं तो वह जानते हैं कि मैं किस स्थिति में हूं। वह मेरे खेल में ज्यादा दखलअंदाजी नहीं करते।

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