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    Paris Olympics 2024: मेडल जीतने के बाद Manu Bhaker का पहला रिएक्शन आया सामने, कहा- गीता पढ़ने से मिली मदद

    Updated: Sun, 28 Jul 2024 04:36 PM (IST)

    मनु भाकर टोक्य ओलंपिक में पदक नहीं जीत सकी थीं। इस बात से वह काफी निराश थीं लेकिन पेरिस में आकर मनु ने ओलंपिक मेडल जीत लिया। पेरिस ओलंपिक-2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद मनु ने कहा है कि गीता पढ़ने से उन्हें काफी फायदा हुआ और ये उन कारणों में से एक है जिससे वह आखिरी समय में दबाव कम कर मेडल जीत सकीं।

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    मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत को दिलाया पहला मेडल

     स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक-2024 में भारत को पहला मेडल मिल गया है। निशानेबाज मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में तीसरा स्थान हासिल करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता है। मेडल जीतने के बाद मनु भाकर का पहला रिएक्शन सामने आया है। मनु ने कहा है कि वह इस जीत से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि गीता पढ़ने के कारण उन्हें ये मेडल जीतने में मदद मिली।

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    मनु ने फाइनल में कुल 221.7 का स्कोर करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। ये मनु का दूसरा ओलंपिक है। इससे पहले उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया था लेकिन पदक नहीं जीत सकीं थीं। वो पल मनु के लिए काफी निराश करने वाला था लेकिन मनु ने उस सफलता को पीछे छोड़ते हुए पेरिस में इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज हैं। इसी के साथ उन्होंने ओलंपिक में निशानेबाजी में भारत के 12 साल से चले आ रहे पदक के सूखे को खत्म कर दिया। लंदन ओलंपिक-2012 में भारत के गगन नारंग और विजय कुमार ने पदक जीते थे।

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    भारत ज्यादा पदक का हकदार

    मेडल जीतने के बाद मनु ने स्पोर्ट्स 18 से बात करते हुए कहा कि ये वो मेडल है जिसका भारत का लंबे समय से इंतजार था। मनु ने भावुक होते हुए कहा, " मैं इस जीत से बेहद खुश हूं। ये वो मेडल है जिसका भारत को लंबे समय से इंतजार था। मैं बस एक जरिया हूं। भारत ज्यादा से ज्यादा पदक का हकदार है और भारतीय खिलाड़ी इस बात की कोशिश करेंगे की हम ज्यादा से ज्यादा पदक जीत सकें।"

    मनु ने कहा, "मेरे लिए ये भावना सररियल है। मैंने काफी मेहनत की। आखिरी शॉट्स मैं अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। मैं इस बात से खुश हूं कि मैं ब्रॉन्ज मेडल जीत सकी। उम्मीद करती हूं कि अगले साल मेडल का रंग बदल सकूं।"

    गीता पढ़ने से मिली मदद

    मनु से जब आखिरी पलों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह शांत थीं और अपना काम करना चाहती थीं और ये उन्होंने गीता पढ़कर सीखा जिससे उन्हें मेडल जीतने में मदद मिली। उन्होंने कहा, "मैं गीता पढ़ती हूं तो आखिरी में मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं वो करता हूं जो मैं कर सकता हूं और बाकी सब कुछ किस्मत पर छोड़ देती हूं। गीता में कृष्णा ने कहा है कि आप अपने कर्म पर ध्यान दो उसका जो परिणाम है उस पर नहीं। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अपना काम करती हूं बाकी देखा जाएगा।"

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