Padma Award 2025: कौन हैं हरविंदर सिंह? जिन्हें मिला पद्म श्री सम्मान; पेरिस पैरालंपिक में लहरा चुके हैं तिरंगा
पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारतीय तीरंदाज हरविंदर सिंह को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म सम्मान की घोषणा की गई। इसमें हरविंदर सिंह का भी नाम शामिल है। हरविंदर सिंह पैरालंपिक में तीरंदाजी में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने थे। टोक्यो पैरालंपिक में हरविंदर ने कांस्य पदक जीता था।

स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। तीरंदाजी में पेरिस पैरालंपिक गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय हरविंदर सिंह को 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हरविंदर ने मेंस व्यक्तिगत रिकर्व ओपन के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिसजेक को 6-0 से हराकर पेरिस पैरालिंपिक 2024 में भारत के लिए चौथा स्वर्ण पदक जीता था।
हरविंदर सिंह का यह पैरालिंपिक में दूसरा पदक था। इससे पहले उन्होंने 2021 में टोक्यो में कांस्य पदक जीता था। भारत ने पेरिस ओलंपिक में छह पदक हासिल किए और इसके बाद हुए पैरालिंपिक में सात स्वर्ण और नौ रजत सहित कुल 29 पदक जीते। यह पैरालंपिक में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा था। भारत ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।
कौन हैं हरविंदर सिंह
हरियाणा के कैथल के एक असाधारण एथलीट हरविंदर सिंह ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद तीरंदाजी की दुनिया में अपना नाम कमाया है। एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्मे हरविंदर का पैरालंपिक तीरंदाजी चैंपियन बनने का सफर उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
सिर्फ डेढ़ साल की उम्र में हरविंदर को डेंगू बुखार हो गया था और एक स्थानीय डॉक्टर के इंजेक्शन की वजह से उसके पैरों ने काम करना कम कर दिया था। तीरंदाजी से उनका परिचय 2010 में पंजाब विश्वविद्यालय में हुआ, जहां उन्होंने तीरंदाजों के एक समूह को ट्रेनिंग लेते देखा।
इस पल ने खेल के प्रति उनके मन में गहरा जुनून पैदा कर दिया। दो साल बाद, अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की पढ़ाई करते हुए, लंदन पैरालिंपिक में एथलीटों को प्रतिस्पर्धा करते देखने के बाद हरविंदर का तीरंदाजी को पेशेवर रूप से अपनाने का संकल्प और भी दृढ़ हो गया।
पिता ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
हरविंदर का रास्ता बाधाओं से भरा था। कोविड-19 महामारी ने उनकी ट्रेनिंग को बाधित किया, लेकिन उनके पिता का अटूट समर्थन अमूल्य साबित हुआ। उन्होंने अपने मैदान को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया, जिससे हरविंदर को इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपने कौशल को निखारने का मौका मिला।
कठिन परिस्थितियों के इस दौर ने उनके दृढ़ संकल्प को और मजबूत किया। 2018 में, हरविंदर ने जकार्ता में एशियाई पैरा खेलों में मेंस की व्यक्तिगत रिकर्व ओपन स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल करते हुए एक ऐतिहासिक जीत हासिल की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।