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    जानिए क्यों गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा को चाहकर भी कमीशंड आफिसर नहीं बना सकती सेना

    By Viplove KumarEdited By:
    Updated: Tue, 10 Aug 2021 09:21 PM (IST)

    Olympic gold Medal winner Neeraj Chopra ओलिंपिक के इतिहास में देश को एथलेटिक्स का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर सेना भी गदगद है और खेल जगत के अपने हीरो को पदोन्नति देने के लिए तैयार भी है।

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    भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा गोल्ड मेडल के साथ- फोटो ट्विटर पेज

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भारतीय सेना में सूबेदार नीरज चोपड़ा कमीशंड आफिसर के तौर पर पर प्रमोशन का रास्ता नहीं खोला जा सकता है। सेना में जेसीओ रैंक के अधिकारियों के लिए भी कमीशंड आफिसर बनने के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू अनिवार्य जरूरत है। इस लिहाज से सेना के पास नीरज चोपड़ा को फिलहाल सूबेदार मेजर या फिर मानद आनरेरी मेजर के तौर पर प्रमोशन देने का ही विकल्प है। भाला फेंक के ओलिंपिक चैंपियन बने नीरज इन दोनों में से जो भी विकल्प चुनेंगे सेना खुशी-खुशी उन्हें मनचाही पदोन्नति देगी।

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    ओलिंपिक के इतिहास में देश को एथलेटिक्स का पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले नीरज चोपड़ा की उपलब्धि पर सेना भी गदगद है और खेल जगत के अपने हीरो को पदोन्नति देने के लिए तैयार भी है। हालांकि इस अभूतपूर्व उपलब्धि के आधार पर ही उन्हें सीधे कमीशंड अधिकारी बनाने की चर्चाओं पर सैन्य सूत्रों ने कहा कि चाहकर भी सेना यह नहीं कर सकती। सेना में अधिकारी को राष्ट्रपति की ओर से कमीशन प्रदान किया जाता है। इसके लिए अनिवार्य प्रक्रियाएं हैं जिन्हें बाइपास करना संभव नहीं है। सेना के जेसीओ भी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के जरिए ही कमीशंड अफसर बनते हैं।

    नीरज भी इस समय सेना में जेसीओ रैंक पर ही हैं और ऐसे में कमीशंड अधिकारी बनने के लिए उन्हें इस प्रक्रिया के रास्ते ही जाना होगा। हालांकि ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद रातोंरात स्टार बन चुके नीरज चोपड़ा अब अगले पेरिस ओलिंपिक पर निगाहें लगा रहे हैं और ऐसे में उनके पास सेना का कमीशन हासिल करने के लिए शायद ही वक्त हो। सैन्य सूत्रों ने कहा कि नीरज सूबेदार मेजर बनते हैं तो चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे और यदि मानद रूप से मेजर की पदोन्नति का विकल्प चुनते हैं तो नियमों के अनुसार उन्हें एक साल के भीतर ही रिटायर होना पड़ेगा।

    इस लिहाज से सूबेदार मेजर का विकल्प बेहतर है क्योंकि प्रमोशन के चार साल बाद जब चोपड़ा रिटायर होने वाले होंगे तब सेना के पास उन्हें मानद मेजर का प्रमोशन देने का विकल्प भी रहेगा और तब उन्हें छह महीने का कार्यकाल मिल जाएगा। सेना में कमीशंड अधिकारी का रास्ता टेरीटोरियल आर्मी से बिल्कुल अलग है जहां क्रिकेट के धुरंधर महेंद्र ¨सह धौनी भी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के रूप में इसका हिस्सा हैं। इसी तरह भारतीय वायुसेना ने भी क्रिकेट जगत के हीरो सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियों के लिए मानद ग्रुप कैप्टन के रूप में वायुसेना का हिस्सा बनाया था।