रील नहीं, रियल लाइफ को देता महत्व देते हैं नवदीप, विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने को तैयार
पेरिस पैरालंपिक में एफ-41 भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले पैरा एथलीट नवदीप सिंह अब 26 सितंबर से दिल्ली में होने वाली वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे। साथ ही यह भी बताया कि वह रील नहीं रियल लाइप को ज्यादा महत्व देते हैं।

नितिन नागर, जागरण नई दिल्ली। पेरिस पैरालंपिक में एफ-41 भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले पैरा एथलीट नवदीप सिंह अब 26 सितंबर से दिल्ली में होने वाली वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे। पहली बार यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता भारत में हो रही है, जिसे लेकर नवदीप उत्साहित होने के साथ थोड़ा दबाव भी महसूस कर रहे हैं।
नवदीप ने 'दैनिक जागरण' से विशेष बातचीत में कहा, मेरी तैयारी इस बार बहुत अच्छी है। घरेलू दर्शकों के सामने खेलना मेरे लिए गर्व की बात होगी। भले ही दबाव रहेगा, लेकिन यह मेरे आत्मविश्वास को और मजबूत करेगा। मैंने अपनी तकनीक में कई बदलाव किए हैं और मेरा लक्ष्य सिर्फ इतना है कि मैदान पर शत प्रतिशत दूं और देश के लिए पदक जीत सकूं।
उन्होंने बताया कि मैदान पर उतरते समय उनकी पहली कोशिश यही रहती है कि जो कुछ ट्रेनिंग में सीखा है, वही दोहराऊं। कोच साहब ने जो सिखाया है, उसे लागू करना मेरा मूल मंत्र होता है।
ट्रेनिंग के अलावा समय का उपयोग कैसे करते हैं? इस सवाल पर नवदीप ने कहा, मैं रील लाइफ से ज्यादा रीयल लाइफ में जीना पसंद करता हूं। मुझे डाक्यूमेंट्री देखना पसंद है और मैं इंटरनेट मीडिया पर समय नहीं बिताता। परिवार के साथ समय बिताना ही मुझे सुकून देता है।
पैरा खेलों की बढ़ती लोकप्रियता
नवदीप ने कहा कि पेरिस पैरालंपिक के बाद से देश में पैरा खेलों के प्रति रुचि में काफी इजाफा हुआ है। सरकार भी एथलीटों के लिए लगातार काम कर रही है। नए खेल विधेयक और योजनाओं ने खिलाड़ियों को बड़ा सहारा दिया है। जब मैंने खेलना शुरू किया था तो सुविधाओं की काफी कमी थी। तब न तो 'खेलो इंडिया पैरा योजना' थी और न ही उचित ट्रेनिंग सेंटर। कोच ढूंढना मुश्किल होता था। लेकिन अब एनसीओ स्कीम के तहत खिलाड़ी देशभर के साई सेंटरों में रहकर ट्रेनिंग कर सकते हैं। हाल ही में दिल्ली में देश का पहला मोंडो ट्रैक बिछा है, जो एथलीटों के लिए बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से आर्थिक मदद, ट्रेनिंग सुविधाएं और आधुनिक साधन मिलने से भारतीय पैरा एथलीटों का प्रदर्शन निरंतर बेहतर हो रहा है। पेरिस पैरालंपिक में सबसे ज्यादा पदक जीतना इसका प्रमाण है।
नीरज चोपड़ा से मिलती है प्रेरणा
नवदीप ने स्वीकार किया कि परिवार के बाद उन्हें नीरज चोपड़ा से सबसे ज्यादा प्रेरणा मिलती है। नवदीप ने कहा कि नीरज भाई के खेल में जो निरंतरता है, वही मैं अपने खेल में लाना चाहता हूं। अभी मैं ट्रेनिंग जोन में हूं, ज्यादा लोगों से मिल नहीं पाता, लेकिन विश्व चैंपियनशिप के बाद उनसे जरूर मुलाकात करूंगा।
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