EXCLUSIVE: दमदारी के साथ वापसी करने को तैयार नरसिंह पंचम यादव, झेला है 4 साल का बैन
Narsingh Pancham Yadav ने दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में अपने बैन से लेकर अपनी वापसी तक के बारे में खुलकर बात की।
नई दिल्ली, जागरण एक्सक्लूसिव। वाडा की सजा पूरी होने पर चार साल बाद देश के स्टार पहलवान नरसिंह पंचम यादव कुश्ती की दुनिया में लौट रहे हैं। भारतीय कुश्ती संघ ने उन्हें राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल कर मौका दिया है, जो सोनीपत के बहालगढ़ साई सेंटर में एक सितंबर से शुरू होगा। देखा जाए तो इन चार वर्षों में कुछ भी नहीं बदला है। आज भी साजिश करने वाले पकड़ से बाहर हैं और सीबीआइ की जांच अधूरी है। इन तमाम मुद्दों पर नरसिंह यादव से दैनिक जागरण के अनिल भारद्वाज ने खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :-
-आपके खेल जीवन के चार वर्ष बर्बाद हो गए। इसने आपको कमजोर बनाया या ताकतवर?
--चार वर्ष बर्बाद होने का मुझे बहुत दर्द है। यह दर्द एक खिलाड़ी या आइआइटी, मेडिकल व सिविल सíवस की तैयारी करने वाला समझ सकता है। वैसे मैं सब कुछ भूलकर अखाड़े में उतर रहा हूं। मेरा ध्यान सिर्फ नई शुरुआत और अच्छी तैयारी पर रहेगा। कमजोर होने का सवाल ही नहीं है।
-क्या आप मानते हैं कि पुलिस व सीबीआइ आपको न्याय नहीं दिला पाई?
-हां, मैं हैरान हूं कि चार साल में मुझे न्याय नहीं मिला। मुझे हरियाणा पुलिस से बहुत आशा थी। अगर पुलिस उस समय कुछ कर लेती तो मैं रियो ओलंपिक 2016 में पदक जीत चुका होता। वाडा ने मुझसे पूछा था कि क्या पुलिस ने किसी साजिशकर्ता को पकड़ा है तो उस सयम पुलिस के हाथ खाली थे और इसी कारण वाडा ने खेलने से रोक दिया था। उसके बाद मामला सीबीआइ के पास गया तो मुझे लगा कि एक वर्ष में मेरी वापसी होगी और 2018 एशियन गेम्स में मौका मिलेगा, लेकिन दुख की बात है कि एक छोटे से मामले की जांच पूरी नहीं हुई।
-क्या आप अब भी चाहेंगे कि जांच पूरी हो?
--मैं चाहता हूं कि जांच हर हाल में पूरी होनी चाहिए, ताकि दोषी को सजा मिले और दूसरे खिलाड़ी के साथ ऐसा करने की कोई हिम्मत ना करे। अगर जांच पूरी होती है तो उनकी जुबान भी बंद होगी जो कह रहे थे कि नरसिंह ने प्रतिबंधित दवा स्वयं ली होगी।
-क्या आपको लगता है कि जांच पूरी नहीं होने देने के पीछे कोई है?
--मैं यह आरोप किसी पर नहीं लगा सकता, लेकिन ये बातें सवाल जरूर खड़े करती हैं।
-तब आपके मुकाबले में सुशील कुमार थे और आज उनके अलावा अन्य पहलवान भी हैं। कितने तैयार हैं?
--चार वर्ष पहले वह मेरे मुकाबले में नहीं थे। मैं विश्व चैंपियनशिप पदक के साथ रियो का टिकट लेकर आया था और आज तक भारतीय कुश्ती संघ ने उसी पहलवान को ओलंपिक खेलने भेजा है जो टिकट लेकर आया है। भारतीय कुश्ती संघ के नियम सभी पहलवानों पर लागू होते हैं और वही नियम मेरे पर लागू थे। कोई नियमों से ऊपर नहीं है। रही मुकाबलों की बात तो जब आप खेलेंगे तो आपके मुकाबले में हर खिलाड़ी बेहतर आएगा और आपको उनके लिए तैयार रहना होगा। मैं सिर्फ अपनी तैयारी पर ध्यान रखता हूं। यह नहीं देखता कि सामने कौन है।
-सोनीपत बहालगढ़ साई सेंटर में ही चार वर्ष पहले आपके साथ साजिश हुई थी। फिर वही स्थान, क्या साजिश का खतरा होगा?
--खतरा अभी टला नहीं है, लेकिन मैं इस बार सावधान रहूंगा।
-तब आपको साई सेंटर में पुलिस सुरक्षा मिली थी। क्या अब भी सुरक्षा चाहिए?
--यह साई सेंटर अधिकारियों के दायरे की बात है। मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसा खतरा है, लेकिन मैं चाहूंगा कि सेंटर में कम लोग आएं और जो आएं उनकी जांच होनी चाहिए।
-तब से अब तक विश्व स्तर पर कई नए पहलवान आए हैं, क्या अंतरराष्ट्रीय राह आसान होगी?
--मैं मुकाबलों से दूर जरूर रहा हूं, लेकिन मुकाबले देखने बंद नहीं किए और ना मैंने प्रशिक्षण छोड़ा है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी फिर शुरू होगी और 2021 टोक्यो की दावेदारी करूंगा।