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    Summer Olympics: पिता का बलिदान और कड़ी मेहनत आई काम, बहन ने भी आसान बनाई राह, अब इतिहास रचने को तैयार लवलेश

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Mishra
    Updated: Sun, 04 Jun 2023 06:52 PM (IST)

    Lovlesh Summer Olympics हरियाणा के 25 साल के लवलेश उन एथलीटों में से एक होंगे जो जून 2023 में बर्लिन में होने वाले समर ओलंपिक गेम्स में भारत की तरफ से पहली बार लॉन टेनिस में हिस्सा लेंगे। लवलेश हफ्ते में छह दिन प्रैक्टिस करते हैं।

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    Lovlesh Special Summer Olympics- लवलेश उन खिलाड़ियों में से हैं, जो लॉन टेनिस में हिस्सा लेने जा रहे हैं

    नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। हरियाणा के 25 साल के लवलेश उन एथलीटों में से एक होंगे, जो जून 2023 में बर्लिन में होने वाले समर ओलंपिक गेम्स में भारत की तरफ से पहली बार लॉन टेनिस में हिस्सा लेंगे। वह अपने पिता के साथ घर से 10 किलोमीटर दूर एकेडमी में हफ्ते में छह दिन प्रैक्टिस करने के लिए जाते हैं। इसके साथ ही उनका एक फिटनेस रूटीन भी है, वहां भी उनके पिता लवलेश के साथ होते हैं। लवलेश कोच उषा की देखरेख में अपनी फिटनेस पर काम करते हैं, जो इस मूवमेंट से साल 2016 से जुड़ी हुई हैं।

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    वर्ल्ड गेम्स गोल्डन चांस

    लवलेश और खासतौर पर उनके पिता देवेंद्र शर्मा और बहन स्वाति शर्मा के लिए वर्ल्ड गेम्स अपनी काबिलियत को दिखाना का एक गोल्डन चांस है। लवलेश की फिजिक, कंधों की ताकत और उनका बैलेंस कुछ कारण हैं, जिनके चलते वह इस स्पोर्ट्स के लिए क्वालिफाई करने में सफल रहे हैं। पिछले दो साल से जारी लगातार टेनिस प्रैक्टिस के चलते लवलेश अब मुकाबला करने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर चुके हैं। इसके साथ ही उनके परिवार के सदस्यों को उनकी उभरती क्षमताओं का आश्वासन भी दिया है, जो अब तक छिपी हुई थी।

    खेल से मिलती है लवलेश को ताकत

    लवलेश के पिता के अनुसार उनके बेटे को खेल से आत्मविश्वास मिलता है और लवलेश पॉजिटिव नजर आते हैं। वह आश्वस्त महसूस करते हैं, क्योंकि उन्होंने ऐसी काबिलियत को खोज निकाला है, जो उनके आसपास के कई लोगों में नहीं है। लवलेश शांत, हंसमुख और मेहनती हैं। इसके बावजूद उनके पिता के मुताबिक खेल उनके जीवन में आशा और खुशी लेकर आया है।

    औरों की तरह नहीं थे लवलेश

    लवलेश के पिता बताते हैं कि जब लवलेश चार साल के हुए, तो वह बाकी बच्चों की तरह नहीं थे। उनके पिता को कोई इस मील के पत्थर का कोई आइडिया नहीं था, लेकिन वह यह समझ चुके थे कि उनके बेटे को मेडिकल अटेंशन की जरूरत पड़ेगी। स्कूल के शुरुआती दिनों में लवलेश को टीचर्स की तरफ से खास मार्गदर्शन मिलता था। इसके अगले छह से सात महीने में समझ आ गया कि लवलेश धीमे सीखने वालों में से हैं। स्कूल और किताबें उनके लिए नहीं थीं। लवलेश के लिए प्रासंगिक व्यक्तियों और संस्थानों तक पहुंचने में उनकी बहन स्वाति माता-पिता की सबसे बड़ी ताकत थी। यहां तक अभी भी है।

    लोग मारते थे पिता को ताने

    लवलेश के पिता देवेंद्र उस वक्त को याद करते हैं जब उनके साथ के दोस्त उन्हें लवलेश पर जरूरत से ज्यादा टाइम खराब करने के लिए ताने मारा करते थे। हालांकि, ऐसे कमेंट्स का अभी भी लवलेश के पिता को सामना करना पड़ता है, लेकिन लवलेश को खेलों के लिए तैयार करने से उनका ध्यान एक अवसर में तब्दील हो गया।

    सालों से, वॉलीबॉल, फुटबॉल, स्केटिंग जैसे खेलों में उनकी नियमित भागीदारी ने 2017 के बाद से उनके व्यक्तित्व में बदलाव किया है, जब वह विश्वास स्पेशल स्कूल में स्पेशल ओलंपिक में शामिल हुए थे। अपने बेटे को विश्व खेलों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए देखने से परिवार को उन टिप्पणियों पर काबू पाने में मदद मिलती है, जो उनके दिल को तोड़ देती हैं, वह धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हैं कि शायद वह उस पल के बहुत करीब हो सकते हैं जो इस समुदाय में उनके बेटे की कीमत समझा पाएगा।