भारतीय खिलाड़ी प्रियंका को छह साल में सिर्फ आश्वासन मिले, सरकारी नौकरी नहीं
कबड्डी विश्व कप विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहीं प्रियंका को पिछले 6 साल से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है नौकरी नहीं।
गुरुग्राम, अनिल भारद्वाज। वर्ष 2012 में कबड्डी विश्व कप जीता तो लगा कि इनाम के साथ अच्छी नौकरी भी मिलेगी, लेकिन किसी ने पूछा तक नहीं। फिर वर्ष 2014 एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता, लगा कि शायद अब भाग्य भी बदल जाए, क्योंकि केंद्र और प्रदेश में सरकार भी बदल चुकी थी। मगर बेहद अफसोस की बात है कि अभी भी हालत पहले ही जैसे हैं। यह कहना है हरियाणा के चरखीदादरी जिले के गांव आदमपुर दाढ़ी की कबड्डी खिलाड़ी प्रियंका का।
उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के कई वर्ष बाद भी सम्मानजनक नौकरी का बेसब्री से इंतजार है। देश की इस स्टार खिलाड़ी का दर्द उनके शब्दों में भी झलकता है। इनका कहना है कि हैरानी और दुख होता है कि प्रथम श्रेणी की नौकरी तो दूर की बात है, चतुर्थ श्रेणी की नौकरी तक के लिए नहीं पूछा गया। हमेशा आश्वासन मिला कि अच्छी नौकरी दी जाएगी और इसी आश्वासन में छह साल निकल गए। प्रियंका का कहना है कि दूसरे खिलाडि़यों को जब नौकरी मिली तो उन्हें खुशी हुई और आशा जगी कि अब उन्हें भी मिलेगी, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ। एक फौजी व किसान की बेटी ने देश को गौरव के पल कई बार दिए, लेकिन अपने प्रदेश में सम्मान की नौकरी पाने के लिए आज तक भटकती रही है।
हाल में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर कबड्डी खिलाड़ी कविता की हरियाणा खेल विभाग में उप निदेशक के पद नियुक्ति हुई, तो सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। प्रियंका का कहना है कि यह कोर्ट ने नौकरी दिलाई है। जिस खिलाड़ी को सरकार को स्वयं नौकरी देनी चाहिए थी उसे वर्षो तक संघर्ष करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रियंका कहती हैं कि वह आज गांव में कामयाबी का नहीं, बल्कि नाकामी का उदाहरण बनती जा रही हैं, क्योंकि देश के लिए पदक जीतने के बाद भी कोई नौकरी नहीं नहीं प्राप्त हुई है, जिसके कारण गांव में वह चर्चा का विषय बन गई हैं। वह बेहद निराशा के साथ कहती हैं, शायद मुझे देखकर और लोग अपनी लड़कियों को खेलों में न उतारें।
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