एशियन गेम्स: 1986 में 24 वर्ष के बाद वॉलीबॉल में भारत ने जीता था कांस्य पदक
1986 एशियन गेम्स में भारतीय वॉलीबॉल टीम ने कांस्य पदक जीता था।
सुनहरी यादें :
32 साल पहले 1986 एशियन गेम्स में भारतीय टीम को कांस्य पदक जिताने वाले हरियाणा के वॉलीबॉल खिलाड़ी दलेर सिंह जापान की टीम पर मिली जीत को याद करते हैं तो आज भी युवा खिलाडि़यों की तरह खुशी से झूम उठते हैं। दलेर का कहना है कि 1962 जकार्ता एशियन गेम्स के 24 साल बाद 1986 में भारत को पदक मिला था। उनका मानना है कि अगर 1990 बीजिंग एशियन गेम्स में भारतीय टीम भेजी जाती, तो भारत पदक का रंग बदल देता। लेकिन, भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) की मनमानी के चलते भारतीय वालीबॉल टीम एशियन गेम्स में नहीं जा सकी थी और उसी के बाद टीम का प्रदर्शन गिरने लगा। 12 वर्ष तक भारतीय टीम के खिलाड़ी रहे दलेर सिंह ने अनिल भारद्वाज से आगामी एशियन गेम्स को लेकर बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश-
- 1986 में भारतीय टीम जब 24 साल बाद पदक जीतकर लौटी थी तो कैसा स्वागत हुआ था?
- जब एयरपोर्ट और उसके बाद घर पहुंचे थे तो किसी को नहीं पता था कि हम 24 साल बाद पदक जीतकर आए हैं। हमने अपने घर व गांव में बताया कि पदक जीता है तो गांव के कुछ बुजुर्ग लोगों ने आशीर्वाद दिया। आज खिलाडि़यों का जोरदार स्वागत होता है। यह अच्छा है। इससे खिलाड़ी का हौसला बढ़ता है।
- भारत ने एशियन गेम्स में अभी तक तीन बार ही वॉलीबॉल में पदक जीता है। इसकी क्या वजह नजर आती है?
- एशियन गेम्स में भारत ने 1958 में टोक्यो में कांस्य पदक, 1962 में जकार्ता में रजत और फिर 1986 में कोरिया में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद 1990 एशियन गेम्स के लिए हमारी शानदार तैयारी थी और कुछ माह पहले जापान और चीन जैसी टीमों को हम हरा चुके थे और वही टीमें हमें एशियन गेम्स में मिलनी थीं। उस समय माना जा रहा था कि 1990 में हम फाइनल खेलेंगे, लेकिन हमारी टीम नहीं भेजी गई और वहीं से खिलाडि़यों का मनोबल गिरना शुरू हो गया।
-तो क्या आप मानते हैं 1990 में आइओए का गलत फैसला था?
-बहुत गलत फैसला था। उस समय हम कितने दुखी थे आज बता नहीं सकते। मुझे याद है उस समय एशियन गेम्स को लेकर हम कितने उत्साहित थे, लेकिन कुछ समय पहले पता चला कि टीम नहीं भेजी जा रही।
-1962 में जकार्ता में रजत पदक मिला था और क्या 2018 में जकार्ता में इतिहास दोहराया जाएगा?
- आज हम इतिहास दोहराने की स्थिति में हैं। इस बार तैयारी अन्य वर्षों के मुकाबले बेहतर है।
-1986 के दौर में ईरान हम से बहुत पीछे था और आज ईरान एशिया ही नहीं, विश्व में सर्वश्रेष्ठ टीम है। क्या कारण रहे कि हम पिछड़ गए?
- मेरे ख्याल में ईरान ने सर्वश्रेष्ठ टीम बनाने के लिए मेरिट आधार पर चयन करना जारी रखा होगा और खिलाडि़यों को सुविधा देने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले ज्यादा खेले होंगे। जब किसी टीम को ये तीनों चीजें मिलेंगी, तो वह सर्वश्रेष्ठ बनेगी ही।
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