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    एशियन गेम्स : 1974 में भारत को एथलीटों ने दिलाया गोल्ड मेडल

    By Sanjay SavernEdited By:
    Updated: Fri, 10 Aug 2018 07:33 PM (IST)

    सातवें एशियन गेम्स का आयोजन 1974 में एक से 16 सितंबर के दौरान ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ।

    एशियन गेम्स : 1974 में भारत को एथलीटों ने दिलाया गोल्ड मेडल

    फ्लैश बैक : 1974

    सातवें एशियन गेम्स का आयोजन 1974 में एक से 16 सितंबर के दौरान ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ। पहली बार मध्य एशिया में एशियन गेम्स का आयोजन हो रहा था और इसके आयोजन के लिए आर्यमेहर स्पो‌र्ट्स कांप्लेक्स का निर्माण किया गया था। इस आयोजन में 25 देशों के 3010 खिलाडि़यों ने भाग लिया। यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में खिलाडि़यों ने एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। इस बार 16 खेलों की 200 स्पर्धाओं को शामिल किया गया। पहली बार एशियन गेम्स में फेंसिंग, जिम्नास्टिक और महिला बास्केटबॉल की स्पर्धाएं आयोजित की गईं। साथ ही यह पहला मौका था जब एशियन गेम्स का दुनियाभर में टेलीविजन पर सजीव प्रसारण किया गया।

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    इस बार भारत प्रदर्शन के मामले में सातवें स्थान पर रहा। उसने कुल 28 पदक जीते, जिनमें चार स्वर्ण, 12 रजत और 12 कांस्य पदक शामिल रहे। भारत को चारों स्वर्ण एथलेटिक्स में मिले, जो विजय सिंह चौहान (डेकाथलन), श्रीराम सिंह (800 मीटर), शिवनाथ सिंह (5000 मीटर) और टीसी योहानन (लांग जंप) ने हासिल किए। वहीं, जापान 75 स्वर्ण, 49 रजत और 51 कांस्य के साथ कुल 175 पदकों के साथ पहले स्थान पर रहा। मेजबान ईरान ने 36 स्वर्ण, 28 रजत और 17 कांस्य के साथ कुल 81 पदक अपने नाम करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।

    इस एशियन गेम्स में एक विवाद भी सामने आया। अरब राष्ट्र, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया ने राजनीतिक कारणों से इजरायल के साथ टेनिस, फेंसिंग, बास्केटबॉल और फुटबॉल की स्पर्धाएं खेलने से मना कर दिया। हालांकि, इजरायल ने सात स्वर्ण सहित कुल 19 पदक जीतकर पदक तालिका में छठा स्थान हासिल किया। यह इजरायल का आखिरी एशियन गेम्स साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद इजरायल पर एशियन गेम्स में भाग लेने के लिए स्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया। 

    फ्लैश बैक : 1978 

    तीसरी बार की बैंकॉक ने मेजबानी

    1978 में आठवें एशियन गेम्स का आयोजन सिंगापुर में होना था, लेकिन आर्थिक कारणों से उसने मेजबानी करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में एशियन गेम्स का आयोजन करने का फैसला किया, लेकिन बांग्लादेश और भारत के विरोध की वजह से उसे भी मेजबानी करने का विचार त्यागना पड़ा। इसके बाद इस एशियन गेम्स के आयोजन की जिम्मेदारी थाइलैंड ने उठाई और उसकी राजधानी बैंकॉक ने 1966 व 1970 के बाद नौ से 20 दिसंबर 1974 के दौरान तीसरी बार एशियन गेम्स की मेजबानी कर इतिहास रचा। इस बार एशियन गेम्स में 19 खेलों की 199 स्पर्धाओं को शामिल किया गया। इस बार तीरंदाजी और बॉलिंग को नए खेलों के रूप में शामिल किया गया। इस बार 25 देशों के 3842 खिलाडि़यों ने चुनौती पेश की। हालांकि, पिछली बार के मेजबान ईरान ने राजनीतिक कारणों से इस बार के एशियन गेम्स में भाग नहीं लिया।

    इस बार भारत के प्रदर्शन में कुछ सुधार नजर आया और उसने 11 स्वर्ण, 11 रजत और छह कांस्य सहित कुल 28 पदक अपने नाम किए और पदक तालिका में छठा स्थान हासिल किया। हालांकि, मेजबान थाइलैंड के भी 11 स्वर्ण थे, लेकिन उसने 12 रजत और 19 कांस्य सहित कुल 42 पदक जीतकर पांचवां स्थान हासिल किया। जापान ने एक बार फिर अपनी बादशाहत कायम करते हुए 70 स्वर्ण, 59 रजत और 49 कांस्य सहित कुल 178 पदक जीते और पदक तालिका में लगातार आठवीं बार शीर्ष स्थान हासिल किया।

    भारत को एक बार फिर सबसे बड़ी सफलता एथलेटिक्स में मिली। भारत ने जो 11 स्वर्ण पदक अपने नाम किए, उनमें से आठ एथलेटिक्स में मिले। इनमें से भी दो स्वर्ण तो हरी चंद ने हासिल किए, जो 5000 मीटर और 10000 मीटर स्पर्धा में मिले। उनके अलावा रामास्वामी गननसेकरन (200 मीटर), श्रीराम सिंह (800 मीटर), हाकम सिंह (20 किमी पैदल चाल), सुरेश बाबू (लांग जंप), बहादुर सिंह चौहान (गोला फेंक) और गीता जुत्सी (महिला, 800 मीटर) ने भी एथलेटिक्स में सोना जीता। इनके अलावा भारत ने जो तीन अन्य स्वर्ण जीते उनमें से दो कुश्ती में राजिंदर सिंह (74 किग्रा) और करतार सिंह (90 किग्रा) ने दिलाए, जबकि एक रणधीर सिंह (ट्रैप निशानेबाजी) की बदौलत हासिल हुआ।

    इन्हें भी जानें :

    फेंसिंग : यह तलवारबाजी की तरह का एक खेल है जिसे घेराबंदी करके खेला जाता है। इसकी व्यक्तिगत और टीम दोनों ही तरह की स्पर्धाएं होती हैं। फेंसिंग को 1974 और 1978 के एशियन गेम्स में शामिल किया गया था। उसके बाद 1986 से यह एशियन गेम्स का नियमित हिस्सा है। एशियन गेम्स में भारत का फेंसिंग में इतिहास कुछ खास नहीं रहा है और उसने इसमें कभी कोई पदक नहीं जीता है।

    हॉकी : यह भारत का राष्ट्रीय खेल है और कभी हॉकी में भारत की तूती बोलती थी। हॉकी को पहली बार 1958 एशियन गेम्स में शामिल किया गया था, लेकिन एशियन गेम्स में भारत का नहीं, बल्कि पाकिस्तान का दबदबा देखने को मिला है। पाकिस्तान की पुरुष हॉकी टीम ने एशियन गेम्स में अब तक आठ स्वर्ण पदक जीते हैं, जबकि भारत सिर्फ तीन बार खिताब अपने नाम कर चुका है। भारत के लिए राहत की बात यह है कि उसने पिछले गेम्स में पाकिस्तान को हराकर ही स्वर्ण जीता था। महिला हॉकी को एशियन गेम्स में 1982 में शामिल किया गया और तब भारतीय टीम ने अपनी ही सरजमीं पर खिताब जीता, लेकिन उसके बाद भारतीय महिला टीम कभी भी स्वर्ण नहीं जीत सकी।

    फुटबॉल : विश्व के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल प्रत्येक एशियन गेम्स का हिस्सा रहा है। भारतीय टीम ने शुरुआती संस्करण में अपनी मेजबानी में स्वर्ण जीतकर इस खेल में अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन वह उसे आगे जारी नहीं रख सकी। इसके बाद भारत ने सिर्फ एक बार 1962 में जकार्ता एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। महिला फुटबॉल को 1990 में पहली बार शामिल किया गया।

    गोल्फ : गोल्फ को पहली बार 1982 में भारत में हुए एशियन गेम्स में शामिल किया गया। पहले मौके पर ही भारत ने इस खेल में दो स्वर्ण जीते, जिनमें एक टीम स्पर्धा में था और एक लक्ष्मण सिंह ने जीता। उसके बाद भारत स्वर्ण दिलाया, लेकिन उसके बाद एशियन गेम्स में भारत पदक के लिए भी तरस गया। 2002 में शिव कपूर ने स्वर्ण जीतकर भारत के लिए नई उम्मीद जगाई, लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला।