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    Happy Birthday Prakash Padukone: खिलाड़ी जिन्होंने भारत में रखी बैडमिंटन की सफलता की नींव

    By Sameer ThakurEdited By:
    Updated: Fri, 10 Jun 2022 12:14 PM (IST)

    Happy Birthday Prakash Padukone 10 जून उस बैडमिंटन स्टार का जन्मदिन है जिन्होंने बैडमिंटन में पहली बार भारत का नाम वैश्विक पटल पर रखा। उन्होंने पहली बार 1980 में आल इंग्लैंड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था।

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    प्रकाश पादुकोण, आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय (फोटो क्रेटिड ट्विटर)

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। कोई भी खेल तब बड़ा बनता है जब उस खेल में आपके पास हीरो बड़े हों। भारत में क्रिकेट के बाद पिछले दशक में जिस खेल ने तेजी से वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है वो है बैडमिंटन और 10 जून का दिन उसी बैडमिंटन स्टार प्रकाश पादुकोण के जन्मदिन को सेलिब्रेट करने का दिन है जिन्होंने भारत को पहली बार वैश्विक पटल पर बैडमिंटन में पहचान दिलवाई।

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    10 जून 1955 को कर्नाटक में जन्मे प्रकाश पादूकोण ने पहली बार भारत को 1978 कामनवेल्थ गेम्स में गोल्ड दिलाकर सफलता दिलाई थी। यह बैडमिंटन में देश का पहला बड़ा खिताब था। उसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 1980 से 1985 के दौरान 15 अंतर्राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए।

    1980 में आल इंग्लैंड जीतकर बढ़ाया मान

    1980 से पहले भारतीय बैडमिंटन टीम आल इंग्लैंड चैंपियनशिप में केवल भागीदार के तौर पर जाती थी लेकिन उन्होंने उस साल आल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतकर देश के लाखों युवाओं को यह सपना देखने का अधिकार दिया कि वो बतौर करियर बैडमिंटन को चुन सकते हैं। वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे।

    इस खिताब को जीतने का नतीजा यह हुआ कि वर्ल्ड रैंकिंग में वो पहले नंबर पर पहुंच गए जो किसी भारतीय बैडमिटन खिलाड़ियों द्वारा पहली उपलब्धि थी। 1981 में उन्होंने एल्बा वर्ल्ड कप पर कब्जा किया वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे।

    बैडमिंटन को उनसे क्या मिला-

    यह बैडमिंटन से जुड़ा उनका प्यार ही था कि 1989 में रिटारयमेंट के बाद भी वो इस खेल से जुड़े रहे और ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने नई पीढ़ी के बैडमिंटन स्टार को तराशने के लिए कई एकेडमी की स्थापना की।

    पादुकोण को मिले कई बड़े सम्मान-

    उनकी उपलब्धि का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने 1972 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार, 1982 में पद्म श्री से सम्मानित किया। उन्होंने तब जो बैडमिंटन की नींव रखी थी उसे आगे पुलेला गोपीचंद ने बढ़ाया उसी का नतीजा है कि आज हमारे पास बैडमिंटन का हर वो खिताब है जो कोई देश अपने नाम करना चाहता है।

    देश में आज पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, किदांबी श्रीकांत, साइना नेहवाल, एचएस प्रणय और न जाने कितने ऐसे नाम हैं जो आने वाले समय में भारत को बैडमिंटन में मेडल दिलवाएंगे।

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