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Paris Paralympics 2024: धरमबीर ने स्वर्ण पदक जीत कोच अमित कुमार सरोहा को दी गुरु दक्षिणा

पुरुषों की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में एशियाई रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीतने वाले धरमबीर ने पदक टीम के अपने साथी और कोच अमित कुमार सरोहा को समर्पित किया है और उम्मीद जताई कि उनकी उपलब्धि पैरा एथलीटों की अगली पीढ़ी को विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रेरित करेगी। अमित से मार्गदर्शन लेने वाले धरमबीर ने पदक को इस अनुभवी खिलाड़ी को समर्पित किया।

By Jagran News Edited By: Rajat Gupta Updated: Thu, 05 Sep 2024 11:54 PM (IST)
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धरमबीर ने गोल्‍ड मेडल पर जमाया कब्‍जा। इमेज- सोशल मीडिया

 जागरण संवाददाता, सोनीपत : पुरुषों की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में एशियाई रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीतने वाले धरमबीर ने पदक टीम के अपने साथी और कोच अमित कुमार सरोहा को समर्पित किया है और उम्मीद जताई कि उनकी उपलब्धि पैरा एथलीटों की अगली पीढ़ी को विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रेरित करेगी। अमित से मार्गदर्शन लेने वाले धरमबीर ने पदक को इस अनुभवी खिलाड़ी को समर्पित किया।

कोच का आशीर्वाद हमेशा साथ

उन्होंने कहा, मैं यह पदक अपने गुरु अमित सरोहा को समर्पित करता हूं। उनका आशीर्वाद शुरू से ही मेरे साथ है और इसी वजह से मैं यह पदक जीत पाया। धरमबीर ने कहा कि मैं बहुत गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। किसी भी पैरा खिलाड़ी के लिए पैरालंपिक में पदक जीतना एक सपना होता है और मेरा सपना इसके साथ सच हो गया। मेरे मार्गदर्शक अमित कुमार सरोहा ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। हम उनके बारे में जानने के बाद इस खेल में आए, मुझे उम्मीद है कि अगली पीढ़ी हमें देखेगी और इस खेल में शामिल होगी।

गुरु-शिष्य साथ ही करते हैं अभ्यास

धरमबीर अपने कोच अमित सरोहा की देखरेख में साई सोनीपत के मैदान पर सालों से अभ्यास कर रहे हैं। गुरु होने के साथ-साथ अमित उनके प्रतिद्वंद्वी भी हैं और दोनों का यह तीसरा पैरालंपिक था। इससे पहले रियो व टोक्यो पैरालंपिक में भी दोनों प्रतिद्वंद्वी रहे थे। धरमबीर का सफर परेशानियों से भरा रहा है। वर्ष 2012 में नहर में नहाने के लिए धर्मवीर नैन ने छलांग लगाई, लेकिन जलस्तर कम होने से गर्दन नहर की तलहटी से जा टकराई।

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रीढ़ की हड्डी टूट गई थी

हादसे में रीढ़ की हड्डी टूट गई व आधे से ज्यादा शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। हादसे में आधा शरीर निष्क्रिय होने के बाद भी हार नहीं मानी। अब उन्होंने अपने बुलंद हौसले व मेहनत के दम पर देश की झोली में गोल्ड मेडल डाल दिया। स्वजन का कहना है कि वह बहुत खुश हैं। धरमबीर ने पेरिस में सोना जीतकर नाम ऊंचा किया है।

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