Special Olympics: अपने ही सगे भाई-बहन ने छोड़ा दिया था साथ, फिर साइकिलिंग से बदल गई जयसीला की जिंदगी
Jayseela Special Olympics विश्व स्तर पर अपने खेल से नई पहचान बनाने को तैयार 32 साल की जयसीला की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। जयसीला के पास सीखने की अक्षमता है जो आठवीं क्लास के बाद से ही सामने आने लगी थी।

नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। विश्व स्तर पर अपने खेल से नई पहचान बनाने को तैयार 32 साल की जयसीला की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। जयसीला के पास सीखने की अक्षमता है, जो आठवीं क्लास के बाद से ही सामने आने लगी थी। पिता के बाद मां को खोने पर जयसीला की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई थी। दो भाई और एक बहन मिलकर माता-पिता के बिना जयसीला की देखभाल नहीं कर सकते थे। उस वक्त जयसीला की उम्र 24 साल थी।
सेंट ऐनीज स्कूल में बदली जयसीला की किस्मत
भाई-बहन देखभाल करने में असमर्थ थे, ऐसे में जयसीला का दाखिला तमिलनाडु के सेंट ऐनीज स्पेशल स्कूल में हुआ। स्कूल में दाखिला लेने के बाद जयसीला को आत्म-देखभाल में बेहद कम रुचि होती थी। जयसीला को अच्छी तरह से तैयार नहीं देखना एक आम बात थी। जयसीला को सीनियर जेन्सी की देखरेख में रखा गया, जिन्होंने जयसीला को व्यक्तिगत देखभाल, सामान्य फिटनेस और खेल में ट्रेनिंग दी।
साइकिलिंग से खास प्यार
जयसीला दौड़ती और अन्य खेलों में भी हिस्सा लेती थीं, लेकिन साइकिलिंग से उनको खास प्यार था। साइकिल चलाना जयसीला को बेहद सुकून देता था। धीरे-धीरे साइकिलिंग में जयसीला की रुचि बढ़ती गई और यह खेल उनकी पहली पसंद बन गया। विशेष ओलंपिक खेल शिविरों में भाग लेने के लिए जयसीला को नामांकित भी किया गया। शिविरों की मदद से जयसीला को एहसास हुआ कि वह कैसी दिखती हैं और उनको समझ आने लगा कि अच्छी तरह से तैयार होना महत्वपूर्ण है। सामाजिक संपर्क बढ़ा, तो जयसीला के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी हुई। फैकल्टी और राज्य की टीम ने जयसीला के लिए नई बाइक का इंतजाम करने के लिए संभावित प्रायोजकों तक पहुंची, लेकिन उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी।
बर्लिन गेम्स के लिए खास तैयारी
जयसीला की प्रैक्टिस की स्पेशल टीचर सिस्टर जेन्सी रानी उनके गेम पर बारीकी से नजर बनाए रखती हैं। बर्लिन गेम्स 2023 की तैयारियों के लिए जयसीला के दो स्लॉट बनाए गए हैं। पहले स्लॉट में जयसीला सुबह के समय अपनी फिटनेस पर काम करती हैं, जबकि शाम को वह साइकिल चलाने की जमकर प्रैक्टिस करती हैं। आराम के साथ जयसीला को 45 किलोमीटर साइकिल चलाने का टास्क दिया गया है, जिसमें समय-समय के साथ संशोधन किया जाता रहता है।
नई बाइक के डोनेशन की हुई व्यवस्था
लाख असफल प्रयास के बाद जयसीला के नई बाइक के डोनेशन की व्यवस्था हो गई है। जयसीला को भरोसा है कि वह नई बाइक से देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने के लक्ष्य में सफल रहेंगी। जयसीला की आपार कामयाबी पर उनके भाई-बहन गर्व होने के साथ बेहद हैरान भी हैं। जयसीला की सफलता पर सेंट ऐनीज स्पेशल स्कूल की प्रिंसपल का कहना है, "जयसीला एक नई साइकिल पाकर बहुत खुश थी और यह उसके लिए बहुत मायने रखता है। उसने और अधिक आत्मविश्वास प्राप्त किया है और हमें बताती है कि यदि वह पदक जीतती है, तो हमें उसके लिए एक नई पोशाक और कान की बाली खरीदनी चाहिए।उसे देखकर अन्य निवासियों को लगता है कि यदि वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो उन्हें भी विश्व खेलों में भाग लेने का अवसर मिलेगा।यह पहली बार है कि सेंट ऐनी स्कूल का कोई छात्र विश्व खेलों में भाग ले रहा है। अब तक, उन्होंने केवल राष्ट्रीय स्तर की योग्यता प्राप्त की थी।"

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