CWG 2022: हर दिन पांच लीटर दूध और पांच घंटे अभ्यास से मिला पैरा पावरलिफ्टर सुधीर को गोल्ड
CWG 2022 सुधीर ने कहा कि पिता उनके प्रेरणास्त्रोत्र हैं जो हर परिस्थिति में संघर्ष करने में विश्वास रखते थे। उनको पिता से जीवन में संघर्ष करने की प्रेरणा मिली। सुधीर के पदक जीतने पर गांव के लोग खुशी से झूम रहे हैं।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पैरा पावरलिफ्टर सुधीर रोजाना पांच घंटे अभ्यास करते हैं और रोजाना पांच लीटर दूध पीते हैं। इसके साथ वह चने और बादाम खाते हैं। उनकी मां सुमित्रा खुद भैंस पालती हैं, जिससे बेटे को शुद्ध दूध मिल सके। सुधीर को अब इसका फल बर्मिघम में मिला और उन्होंने कामनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
सुधीर ने अपने इस पदक को देश और अपने पिता स्वर्गीय राजबीर सिंह को समर्पित किया। सुधीर ने कहा कि पिता उनके प्रेरणास्त्रोत्र हैं, जो हर परिस्थिति में संघर्ष करने में विश्वास रखते थे। उनको पिता से जीवन में संघर्ष करने की प्रेरणा मिली। सुधीर के पदक जीतने पर गांव के लोग खुशी से झूम रहे हैं।
सुधीर ने फोन पर बताया कि जब उन्होंने बर्मिंघम में पदक जीता और तिरंगा लहराया तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। वह पल उन्हें हमेशा याद रहेगा। सुधीर के पिता राजबीर सीआइएसएफ में थे और अक्टूबर 2018 में दिल का दौरा पड़ने के चलते उनका स्वर्गवास हो गया था। सुधीर जब महज तीन साल के थे तो उनके पांव की नस कमजोर हो गई। जब होश संभाला तो उन्हें लगा कहीं दिव्यांगता जीवन की सफलता में बाधा न बन जाए। तब पिता राजबीर ने उनको ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करके मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। पिता जब छुट्टी में घर आते तो उनका मनोबल बढ़ाते और अभ्यास करने के लिए प्रेरित करते। सुधीर का कहना है कि वह आज जिस मुकाम पर हैं, पिता की बदौलत हैं। उनकी सफलता में मां सुमित्रा और पूरे परिवार का भी बहुत बड़ा योगदान है। वर्ष 2018 में जब पिता का निधन हुआ तो उन्हें दुख हुआ, लेकिन पिता की बताई बातों से हमेशा प्रेरणा मिली। सुमित्रा ने कहा कि ऐसा खुशी का पल किसी-किसी को नसीब होता है।
दो बार स्ट्रांग मैन आफ इंडिया का जीत चुके हैं खिताब : सुधीर पावर लिफ्टिंग में लगातार सात बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। पदक जीतने का उनका सफर 2013 से शुरू हुआ था। वह एशियन गेम्स, एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक अपने नाम कर चुके हैं। वर्ष 2021 और 2022 में उन्होंने स्ट्रांग मैन आफ इंडिया का खिताब अपने नाम किया था। उनका गांव में कमरा ट्राफियों और पदकों से भरा है।
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