Commonwealth Games 2022: भारत के पास अपने इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मौका
Commonwealth Games 2022 भारत का अब तक का सबसे सफल अभियान 2010 नई दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स रहा है। उस समय भारतीय एथलीटों ने ना सिर्फ अपने पदकों की संख्या ...और पढ़ें

शोभित चतुर्वेदी, नई दिल्ली। भारतीय खिलाड़ी 28 जुलाई से इंग्लैंड के बर्मिघम में होने वाले कामनवेल्थ गेम्स में अपने हुनर का प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। भारतीय एथलीटों के साथ ही खेल मंत्रालय ने भी इन खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए काफी मेहनत की और खिलाड़ियों को हर सुविधा प्रदान की है। इन सभी चीजों को देखते हुए भारतीय एथलीटों के पास इस बार कामनवेल्थ गेम्स के अपने इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मौका रहेगा।
भारत का अब तक का सबसे सफल अभियान 2010 नई दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स रहा है। उस समय भारतीय एथलीटों ने ना सिर्फ अपने पदकों की संख्या 101 की, बल्कि अंक तालिका में दूसरे स्थान पर रहकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। 2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए इन खेलों के पिछले संस्करण में टीम 66 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। लेकिन पिछले चार वर्षों में भारतीय खिलाड़ियों के अभ्यास का तरीका बदला है और विभिन्न खेलों के कई खिलाडि़यों को विदेशों में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया है।
टोक्यो ओलिंपिक से बदला माहौल : भारतीय खिलाड़ियों ने जिस तरह पिछले साल टोक्यो ओलिंपिक में प्रदर्शन किया था और एक स्वर्ण सहित सात पदक जीते थे, उससे आत्मविश्वास बढ़ा। खेल मंत्रालय ने जहां ओलिंपिक को देखते हुए ओलिंपिक टारगेट पोडियम स्कीम (टाप्स) योजना शुरू की थी, वहीं टोक्यो की लय बरकरार रखने के लिए भी उनकी तरफ से काफी प्रयास किए गए।
राष्ट्रीय शिविर में हुए करोड़ों खर्च :
कामनवेल्थ गेम्स सहित विभिन्न टूर्नामेंट की तैयारियों के लिए राष्ट्रीय शिविर आयोजित किए गए जिसमें करोड़ों रुपयों का खर्च आया। एथलेटिक्स के लिए 259 दिनों का राष्ट्रीय शिविर हुआ जिसमें करीब 7.84 करोड़ रुपये का खर्च आया। ऐसे ही कुश्ती के राष्ट्रीय शिविर के लिए 5.27 करोड़, मुक्केबाजी के लिए चार करोड़, भारोत्तोलन के लिए 1.92 करोड़ और हाकी के शिविर के लिए 3.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
स्वतंत्रता के बाद से अब तक भारत का कामनवेल्थ में प्रदर्शन-
साल, शहर, स्वर्ण, रजत, कांस्य, कुल पदक, पोजीशन
1954, वेंकूवर, 0, 0, 0, 0, -
1958, कार्डिफ, 2, 1, 0, 3, 8
1966, किंग्सटन, 3, 4, 3, 10, 8
1970, एडिनबर्ग, 5, 3, 4, 12, 6
1974, क्राइस्टचर्च, 4, 8, 3, 15, 6
1978, एडमंटन, 5, 4, 6, 15, 6
1982, ब्रिस्बेन, 5, 8, 3, 16, 6
1990, आकलैंड, 13, 8, 11, 32, 5
1994, विक्टोरिया, 6, 11, 7, 24, 6
1998, कुआलालंपुर, 7, 10, 8, 25, 7
2002, मैनचेस्टर, 30, 22, 17, 69, 4
2006, मेलबर्न, 22, 17, 11, 50, 4
2010, नई दिल्ली, 38, 27, 36, 101, 2
2014, ग्लासगो, 15, 30, 19, 64, 5
2018, गोल्ड कोस्ट, 26, 20, 20, 66, 3
कामनवेल्थ गेम्स में भारत के तथ्य-
- इन खेलों में भारत के पहले पदक विजेता पहलवान राशिद अनवर थे, जिन्होंने 1934 चरण में लंदन में कांस्य जीता था। भारत ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया था।
- आजाद भारत को कामनवेल्थ में पहला स्वर्ण पदक एथलीट मिल्खा सिंह ने 1958 में दिलाया।
- अमी घीया और कंवल ठाकर सिंह की जोड़ी कामनवेल्थ गेम्स में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिलाएं बनी थीं। इस जोड़ी ने 1978 के चरण में कांस्य पदक जीता था।
- चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया ने 2010 में भारत को एथलेटिक्स में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।
- निशानेबाज रूपा उन्नीकृष्णन ने 1998 में महिला 50 मीटर राइफल प्रोन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचा।
- चक्का फेंक एथलीट रंजीत कुमार 2006 चरण के दौरान कांस्य पदक जीतकर कामनवेल्थ गेम्स में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरा एथलीट बने थे।
- भारत का 2010 दिल्ली कामनवेल्थ गेम्स में सबसे बड़ा दल था जिसमें 495 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
नंबर गेम :
- 2002 के बाद भारत कभी भी पदक तालिका में शीर्ष पांच से बाहर नहीं रहा।
- 15 पदक जीतकर निशानेबाज जसपाल राणा कामनवेल्थ गेम्स में अबतक के सबसे सफल भारतीय एथलीट हैं।
- 322 सदस्यीय भारतीय दल बर्मिघम खेलों में हिस्सा लेगा।
- 502 पदक भारत ने कामनवेल्थ गेम्स के इतिहास में स्वतंत्रता के बाद से जीते हैं, जिनमें 181 स्वर्ण, 173 रजत और 148 कांस्य पदक शामिल हैं।
- 2 बार भारत कामनवेल्थ गेम्स से खाली हाथ लौटा है, जिसमें 1938 (सिडनी) और 1954 (वैंकुवर) खेल शामिल हैं।
- 28 जुलाई से शुरू होने वाले इन खेलों में भारत के 215 खिलाड़ी 12 से अधिक खेल में लेंगे हिस्सा।
- भारत ने दिल्ली में 2010 में हुए कामनवेल्थ खेलों में जीते थे सर्वाधिक 101 पदक।

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