एशियाई चैंपियनशिप में छठे स्वर्ण पर मेरी कॉम की नजर, फाइनल में दो बार की विश्व चैंपियन से मुकाबला
छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कॉम (51 किग्रा) रविवार को एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में कजाखस्तान की नाजिम किजाइबे से भिड़ेंगी और अपना छठा स्वर्ण हासिल करने की कोशिश करेंगी। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई मेरी कॉम ने सेमीफाइनल में मंगोलिया की लुतसाइखान अल्टांटसेतसेग को शिकस्त दी थी
दुबई, प्रेट्र। छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मेरी कॉम (51 किग्रा) रविवार को एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में कजाखस्तान की नाजिम किजाइबे से भिड़ेंगी और अपना छठा स्वर्ण हासिल करने की कोशिश करेंगी। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुकीं 38 वर्षीय मेरी कॉम ने सेमीफाइनल में मंगोलिया की लुतसाइखान अल्टांटसेतसेग को 4-1 से शिकस्त दी थी और अब फाइनल में उन्हें दो बार की विश्व चैंपियन किजाइबे से कड़ी चुनौती मिलेगी। वहीं, अन्य मुक्केबाज पूजा रानी को सेमीफाइनल में वॉकओवर मिला था और वह फाइनल में उज्बेकिस्तान की मावलुडा मोवलोनोवा के सामने होंगी जिन्होंने अंतिम-चार में लंदन ओलंपिक पदक विजेता मरीना वोलनोवा की चुनौती समाप्त की थी। अनुपमा (81 किग्रा से अधिक) और लालबुआतसाही (64 किग्रा) को भी अपने-अपने फाइनल में कजाखस्तान की मजबूत मुक्केबाजों से कड़ी टक्कर मिलेगी।
सोमवार को गत विजेता अमित पंघाल (52 किग्रा), शिव थापा (64 किग्रा) और संजीत (91 किग्रा) पुरुषों के स्वर्ण मुकाबले खेलेंगे। आठ भारतीय मुक्केबाज सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), विकास कृष्णन (69 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा), जैस्मीन (57 किग्रा), साक्षी चौधरी (64 किग्रा), मोनिका (48 किग्रा), स्वीटी (81 किग्रा) और वरिंदर सिंह (60 किग्रा) को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। उन सभी ने देश के लिए कांस्य पदक हासिल किया।
भाला फेंक खिलाड़ियों के लिए विशेष मशीन
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआइ) ने देश के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ियों जैसे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके नीरज चोपड़ा और शिवपाल सिंह के लिए एनआइएस पटियाला में एक विशेष स्ट्रेंथ-बिल्डिंग मशीन लगाई है।मशीन का नाम क्राफ्ट ट्रेनिंग जेराट (केटीजी) है, जिसका मतलब जर्मनी में मजबूती बढ़ाने वाली ट्रेनिंग मशीन है। इससे भाला फेंक एथलीट अपनी मजबूती और रफ्तार बढ़ा सकेंगे और चोट के काफी कम जोखिम के भाले को आदर्श दिशा में भेजने में मदद मिलेगी। जर्मनी की तकनीक वाली यह मशीन चीन में बनी है।एएफआइ ने कहा, 'जर्मनी और चीन के बाद भाला फेंक खिलाड़ियों की मजबूती और रफ्तार बढ़ाने में मदद के लिए विशेष मशीन हासिल करने वाला भारत तीसरा देश बन गया है।'
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