विचार: स्वास्थ्य रक्षा के साथ-साथ पूंजी निर्माण का भी माध्यम बन गया योग
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के संयुक्त राष्ट्र के निर्णय से भारतीय परंपरा की यह जीवन पद्धति विश्व पटल पर स्वीकार की जा रही है। इसे भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के तौर पर भी देखा जाना चाहिए। योग वह माध्यम है, जिससे भारतीय सभ्यता-संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो रहा है।
अपने देश में योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है
कुछ समय पहले तक जिस योग को ऋषि-मुनियों की साधना और स्वस्थ जीवन का आधार समझा जाता था, आज वह अधिकाधिक लोगों की ओर से अपनाए जाने वाले सेहत के प्रभावी उपाय के साथ तेजी से बढ़ने वाला कारोबार भी है। योग भारत की प्राचीनतम विधाओं में से एक है और इसे अब वैश्विक मान्यता भी मिल गई है। योग को समूचे विश्व के लिए भारत का अनुपम उपहार कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के संयुक्त राष्ट्र के निर्णय से भारतीय परंपरा की यह जीवन पद्धति विश्व पटल पर स्वीकार की जा रही है।
इसे भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के तौर पर भी देखा जाना चाहिए। योग वह माध्यम है, जिससे भारतीय सभ्यता-संस्कृति का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो रहा है। योग एक विचार नहीं, बल्कि भारतीय जीवन पद्धति है, जिसमें भारतीय जीवन मूल्य समाहित हैं। शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य के साथ आध्यात्मिक उन्नति के लिए योग की आवश्यकता एवं महत्व को जैन, बौद्ध, सिख दर्शन समेत प्राय: सभी भारतीय दर्शनों ने स्वीकार किया है। उनमें योग का महत्व सर्वमान्य है।
1990 के प्रारंभ में पश्चिमी देशों में हुए वैज्ञानिक शोधों से यह निकलकर आया था कि आधुनिक जीवनशैली के कारण होने वाली अनेक बीमारियों के प्रभावी उपचार में योग अचूक है। विश्व की श्रेष्ठ नौकरियों की सूची में योग शिक्षक-प्रशिक्षक भी शामिल हैं। आज तमाम देशों में योग प्रशिक्षकों के लिए नौकरी के मौके बढ़ रहे हैं। अमेरिका में एक अनुभवी योग टीचर की औसतन सालाना कमाई 42 हजार डालर से अधिक होती है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन आदि में योग एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है। विश्व में योग परिधानों का बाजार करीब 31.1 अरब डालर का और योग मैट का कारोबार 13 अरब डालर का है।
योग में वेलनेस टूरिज्म, योग रिट्रीट आदि का 915 अरब डालर का कारोबार है। इसके अलावा योग को लेकर दुनिया भर में तरह-तरह के एप विकसित कर लिए गए हैं, जिनसे अच्छी कमाई हो रही है। ऐसे एप बनाने वाली देसी-विदेशी कंपनियों का कारोबार अरबों डालर तक पहुंच चुका है। योग की बढ़ती लोकप्रियता से प्रभावित होकर संस्कृत और हिंदी सीखने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। भाषा सिखाने वाले डुओलिंगों के अनुसार विभिन्न भाषा सीखने वाले तमाम लोग हिंदी सीखना चाहते हैं। भारत के बाहर पहले योग विश्वविद्यालय की स्थापना लास एंजिलिस में की गई थी।
योग दिवस शुरू होने का अमेरिका में योग बाजार पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ा है, इसकी बानगी इन आंकड़ों में दिखती है। 2008 में करीब डेढ़ करोड़ लोग योग करते थे, लेकिन 2016 में यह संख्या बढ़कर 3.67 करोड़ पर पहुंच गई। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था, ‘अमेरिका में लोग अपने स्वास्थ्य और समग्र ध्यान में सुधार के लिए योग अपना रहे हैं।’ जर्मनी के सामान्य स्कूलों के बच्चों को भी स्वैच्छिक आधार पर योग सिखाया जा रहा है। ब्रिटेन में पहला योग स्कूल भारत में ब्रिटिश राज के एक अधिकारी रह चुके सर पास ड्युक्स ने 1949 में एपिंग में खोला था। 1965 में ‘ब्रिटिश व्हील आफ योगा’ की स्थापना हुई।
वहां प्रौढ़ शिक्षा के तहत 1970 के बाद से पूरे देश में सैकड़ों योग-कक्षाएं भी लगने लगों और अनेक प्राइवेट स्कूल भी खुलने लगे। योगाभ्यास और उससे जुड़ी वस्तुओं-सेवाओं का ब्रिटिश बाजार एक अरब डालर से अधिक आंका जाता है। 1989 में कम्युनिस्ट तानाशाही के अंत और 1993 में स्लोवाकिया के अलग हो जाने के बाद चेक गणराज्य में योग की जड़ें गहराई तक जम गईं। ईरान, अरब देशों और यहां तक कि पाकिस्तान समेत कई इस्लामिक देशों ने भी योग की महत्ता को समझा और उसे स्वीकार किया। सऊदी अरब की योग प्रशिक्षक को पद्म सम्मान भी मिल चुका है। योग पंथ, संप्रदाय और क्षेत्र से परे सर्वमान्य हो रहा है। इसका कारण यह है कि उससे लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है। खास बात यह है कि स्थाई लाभ मिल रहा है। लोग असाध्य रोगों से भी मुक्त हो रहे हैं। इसी कारण उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
भारत में योग का बाजार 490 अरब रुपये का हो चुका है। एक शोध के अनुसार यह जल्द ही 875 अरब डालर तक पहुंच सकता है। भारत में योग और आयुर्वेद से जुड़े उत्पादों का बाजार 12 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है। एक सर्वे के अनुसार योग करने वालों की संख्या में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। योग से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनियां भी तेजी से बढ़ी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में योग सीखने वालों की संख्या करीब 25 करोड़ है। अपने देश में ही योग ट्रेनिंग का कारोबार करीब तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है। योग साधना का माध्यम भी है तो कमाई का साधन भी।
अपने देश में 300 से लेकर 1500 रुपये तक योग सिखाने की फीस प्रति घंटे के हिसाब से ली जाती है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया जैसे देशों में तीन से पांच घंटे तक की फीस तीन-पांच हजार डालर तक है। रूस, चीन, यूरोप के साथ अन्य देशों में बड़ी संख्या में भारतीय ट्रेनर जा रहे हैं और वहां से लोग ट्रेनिंग लेने भारत भी आ रहे हैं। कुल मिलाकर योग स्वास्थ्य के साथ-साथ पूंजी निर्माण का भी साधन बन चुका है।
(लेखक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आंबेडकर पीठ के अध्यक्ष हैं)
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