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    जागरण संपादकीय: टाटा की साख का सवाल, कठघरे में एयरलाइंस कंपनी

    टाटा समूह अपने पेशेवर रवैए और कारपोरेट नियमों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए जाना जाता है, पर ऐसा लगता है कि कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए। आखिर यह भी एक तथ्य है कि हाल के समय में टाटा समूह की अन्य कंपनियों के भी कुछ शीर्ष अधिकारी विवादों में घिरे हैं।

    By Jagran News NetworkEdited By: Manish Negi Updated: Sat, 21 Jun 2025 09:34 PM (IST)
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     टाटा की साख का सवाल (फाइल फोटो)

    अहमदाबाद में भयावह विमान हादसे के बाद डीजीसीए यानी नागर विमानन महानिदेशालय ने एअर इंडिया के तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश देकर टाटा समूह के स्वामित्व वाली इस एयरलाइंस को न केवल फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि इस प्रतिष्ठित समूह की साख पर उठे सवाल भी गहरे कर दिए।

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    डीजीसीए ने एअर इंडिया के जिन तीन अधिकारियों को हटाने का आदेश दिया, उनमें डिविजनल वाइस प्रेसिडेंट भी हैं। डीजीसीए के अनुसार इन अधिकारियों ने बार-बार अन्य अनियमितताएं कीं और कुछ नियमों का उल्लंघन भी किया। चूंकि डीजीसीए ने इनके खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश देने के साथ उन्हें कोई काम न देने को भी कहा, इसलिए मामला गंभीर हो जाता है। इसलिए और भी, क्योंकि डीजीसीए के आदेश से यह लगता है कि उसकी कार्रवाई एयरलाइंस की कार्यप्रणाली पारदर्शी बनाने और यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से है।

    कहीं ऐसा तो नहीं कि विमान यात्रियों की सुविधाओं की उपेक्षा के साथ-साथ सुरक्षित विमान संचालन के उपायों की भी अनदेखी हो रही थी? जो भी हो, अहमदाबाद में एअर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से एयरलांइस प्रबंधन और साथ ही टाटा समूह पहले से ही कई सवालों से घिरा है। उसे न केवल इन सवालों के जवाब देने होंगे, बल्कि अपनी साख की भी चिंता करनी होगी। टाटा समूह अपने पेशेवर रवैए और कारपोरेट नियमों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए जाना जाता है, पर ऐसा लगता है कि कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए। आखिर यह भी एक तथ्य है कि हाल के समय में टाटा समूह की अन्य कंपनियों के भी कुछ शीर्ष अधिकारी विवादों में घिरे हैं।

    यह भी स्मरण रहे कि अहमदाबाद हादसे के बाद एअर इंडिया की कई उड़ानें और विशेष रूप से बोइंग के ड्रीमलाइनर विमान वाली उड़ानें स्थगित या रद करनी पड़ीं। इससे विमान यात्रियों के मन में संदेह ही नहीं उपजा, उन्होंने अपनी बुकिंग भी रद की। इस सबको एअर इंडिया के साथ टाटा समूह को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त डीजीसीए के साथ भारत सरकार को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि एअर इंडिया और अन्य एयरलाइंस यात्रियों की सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षित विमान संचालन को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। सुरक्षित विमान संचालन एक ऐसा मामला है, जिसमें किसी समझौते की गुंजाइश नहीं।

    यह अच्छा नहीं कि एअर इंडिया के टाटा समूह के हाथ में जाने के बाद बेहतरी की जो आशा की गई थी, वह पूरी होती हुई नहीं दिख रही है। यह देखा जाना चाहिए कि सरकारी तंत्र वाले तरीके अब भी चलन में तो नहीं और यह एयरलाइंस जब सरकार के पास थी, तब के कुछ अधिकारी अब भी पहले जैसा काम तो नहीं कर रहे हैं?