आधुनिक ओलंपिक
रोमन साम्राज्य के ताकतवर होने से प्राचीन ओलंपिक खेलों की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा टूट गई और यह 19वीं सदी तक बाधित रही। हालांकि इसकी सुगबुगाहट 18वीं सदी के अंत में फिर से सुनाई देने लगी।
रोमन साम्राज्य के ताकतवर होने से प्राचीन ओलंपिक खेलों की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा टूट गई और यह 19वीं सदी तक बाधित रही। हालांकि इसकी सुगबुगाहट 18वीं सदी के अंत में फिर से सुनाई देने लगी। फ्रांस में 1796 से 1798 तक राष्ट्रीय ओलंपिक पर्व के रूप में प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया। खेल भी प्राचीन ओलंपिक से ही लिए गए। डॉ विलियम पेनी बू्रक्स ने 1850 में इंग्लैंड के शार्पशर [मच वेनलॉक] में एक ओलंपिक क्लास शुरू किया। 1859 में ब्रूक्स ने इसका नाम बदलकर वेनलॉक ओलंपिक गेम्स कर दिया और इसे सालाना खेल पर्व के रूप में आयोजित किया जाने लगा। 1862 से 1867 तक लीवरपुल में भी ग्रैंड ओलंपिक के नाम से खेलों की वार्षिक प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें बेहतरीन खिलाडि़यों को खेलने का मौका जाता था। लीवरपुल ओलंपिक की तर्ज पर ही 1896 में एथेंस में आधुनिक ओलंपिक खेलों की योजना बनाई गई। आधुनिक ओलंपिक खेलों के जनक कहे जाने वाले फ्रांस के पिएरे डी कुबर्तिन ने 1980 में वेनलॉक ओलंपिक सोसाइटी के ओलंपिक खेलों में भाग लेने गए हुए थे और वह इस खेल आयोजन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने का फैसला लिया और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति [आईओसी] की स्थापना की। कुबर्तिन ने पेरिस में 16 जून से 23 जून 1984 तक चले पहले ओलंपिक कांग्रेस में आधुनिक खेलों की रूपरेखा रखी। कुबर्तिन ने हर चार साल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग जगहों पर खेलों के आयोजन का सुझाव दिया। इस कांग्रेस से तय किया गया कि ओलंपिक खेल आईओसी के बैनर तले कराए जाएंगे। 1896 में पहला आधुनिक ओलंपिक एथेंस में खेला गया जिसमें 14 देशों के 241 एथलीटों ने 43 मुकाबलों में भाग लिया। इस ओलंपिक की सफलता से उत्साहित ग्रीस के लोगों और अधिकारियों ने आईओसी के समक्ष प्रस्ताव रखा कि स्थायी तौर पर ओलंपिक का आयोजन यहीं पर कराया जाए लेकिन आईओसी ने इसे ठुकरा दिया और वर्ष 1900 में दूसरा ओलंपिक पेरिस में कराने का निर्णय लिया गया।
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