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    सरकार ने नहीं सुनी पुकार तो ग्रामीणों ने उठा लिया कुदाल, बना दी 5 किमी की सड़क

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 02:50 PM (IST)

    राउरकेला के बड़दलकी पंचायत में जर्जर सड़क की ग्रामीणों ने श्रमदान से मरम्मत की। सरपंच रांका खलको के नेतृत्व में फिकड़चूंदी और गोइलो गांव के लोगों ने मिलकर सड़क को ठीक करने का फैसला किया क्योंकि अधिकारियों ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। वन विभाग के अधीन सड़क होने के बावजूद ग्रामीणों ने खुद चंदा जमा करके मरम्मत का काम शुरू किया।

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    लाठीकटा के ग्रामीणों ने श्रमदान कर पांच किलोमीटर सड़क की मरम्मत

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। लाठीकटा ब्लाक के बड़दलकी पंचायत में पहाड़ी कच्चा रास्ता बारिश में जर्जर हो गया था। सरपंच रांका खलको के साथ फिकड़चूंदी व गोइलो गांव के ग्रामीणों ने बीडीओ व जिलापाल का इस ओर ध्यान आकृष्ट कर मरम्मत व पक्की सड़क निर्माण की मांग की है।

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    वन विभाग का भी इस ओर ध्यान आकृष्ट किया गया था। पिछले कई साल से इस सड़क की मरम्मत नहीं होने से लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही थी। सरपंच रांका खलको के आह्वान पर फिकड़चूंदी व गोइलो गांव के लाेग श्रमदान के लिए तैयार हो गए।

    ग्रामीणों ने खुद चंदा कर मरम्मत के लिए आवश्यक उपकरण खरीदे एवं कुछ सहयोग सरपंच से मिला है। हर सप्ताह एक दिन श्रमदान कर सड़क की पूरी तरह से मरम्मत करने का निर्णय उन्हाेंने लिया है।

    बड़दलकी पंचायत अंतर्गत गोइलो से फिकड़चुंदी गांव तक सड़क वन विभाग अधीनस्थ आरक्षित जंगल के अंदर है। पक्की सड़क नहीं होने के कारण लोगों को अब तक कच्ची सड़क पर ही आना जाना पड़ रहा है। राज्य व केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्राें की सड़काें के पक्कीकरण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं पर ये गांव इससे वंचित हैं।

    लगातार बारिश के कारण सड़क जर्जर हो गई है एवं पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। इसकी मरम्मत के लिए ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया था एवं मुख्यमंत्री कार्यालय से सड़क की मरम्मत के लिए जिलापाल को निर्देश दिया गया पर इसकी मरम्मत नहीं हुई।

    इस संबंध में जिलापाल के अभियोग सुनवाई प्रकोष्ठ में भी शिकायत की गई थी। सरपंच रांका खलको ने बीडीओ से भी कई बार मिलकर इस ओर ध्यान आकृष्ट किया पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों ने डीएफओ से भी गुहार लगायी थी। सुनवाई नहीं होने पर ग्रामीणों ने श्रम दान कर इसकी मरम्मत करने का निर्णय लिया। दोनों गांवाें के लोग कुदाल, गैंती, डाला लेकर निकलकर इसकी मरम्मत कर रहे हैं।