बंद होने के कगार पर अन्वेषा योजना! आदिवासी बच्चों को 5 महीने से नहीं मिला अनुदान
राउरकेला में आदिवासी छात्रों के लिए अन्वेषा योजना पर संकट मंडरा रहा है जिससे उन्हें अनुदान का इंतजार है। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पांच महीने बाद भी ओडिशा के आदिवासी छात्रों को अनुदान नहीं मिला है। सरकार ने 2015-16 में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए अन्वेषा योजना शुरू की थी।

जागरण संवाददाता, राउरकेला। आदिवासी छात्रों के लिए पिछली सरकार द्वारा लागू की गई महत्वाकांक्षी योजना अन्वेषा के बंद होने की संभावना है। शैक्षणिक वर्ष शुरू होने के 5 महीने बाद भी, ओडिशा भर के आदिवासी छात्रों को चालू शैक्षणिक वर्ष के लिए अनुदान नहीं मिला है।
ओडिशा सरकार आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 2015-16 से अन्वेषा योजना लागू की है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी बच्चों को स्थापित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ने का अवसर प्रदान करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है।
इस योजना के अनुसार, कक्षा 1 से 12 तक के आदिवासी छात्र अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में मुफ्त में पढ़ सकते हैं। सरकार शिक्षा, कपड़े, किताबें, छात्रावास, भोजन, परिवहन और चिकित्सा का खर्च वहन करेगी। सरकार प्रति छात्र 20,000 रुपये वार्षिक स्कूल फीस के रूप में, 18,000 रुपये प्रति वर्ष कपड़े, किताबें और परिवहन पर और 15,000 रुपये प्रति वर्ष भोजन पर खर्च कर रही थी।
इस प्रकार प्रति छात्र प्रति वर्ष कुल 53,000 रुपये खर्च हो रहे थे। शैक्षणिक वर्ष शुरू होते ही अनुदान आ जाता था। लेकिन नेता बदलते ही नीति भी बदल जाती है। सितंबर शुरू हो चुका है, अनुदान नहीं आया है।
आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ जिले में, 1,800 आदिवासी छात्र सुंदरगढ़ और राउरकेला छात्रावासों में रह रहे हैं। पहले अनुदान आने में देरी होती थी तो पिछले वर्ष के अधिशेष धन से काम चलाया जाता था।
लेकिन वर्तमान सरकार ने मार्च समाप्त होते ही शेष सभी पैसे वापस ले लिए। यही सभी समस्याओं की जड़ है। चूंकि सरकार ने पिछले शैक्षणिक वर्ष के शेष पैसे वापस ले लिए थे, इसलिए छात्रों के भोजन, परिवहन, स्कूल की फीस और वर्दी और ऊपरी खर्चों को कैसे कवर किया जाएगा, यह बड़ा सवाल बन गया है।
राउरकेला और सुंदरगढ़ में छात्रावासों को चलाने के लिए हर महीने कम से कम 10 लाख रुपये की आवश्यकता होती है। छात्रावासों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार शिक्षक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे इतना पैसा कहां से लाएंगे और छात्रावास कैसे चलाएंगे।
उन्हें इस बात की चिंता है कि वे एक या दो महीने के लिए ऋण लेकर व्यवस्था चला लेंगे। लेकिन पांच महीने व्यवस्था चलाना संभव नहीं है। चूंकि अन्वेषा अनुदान पांच महीने से नहीं आया है, इसलिए न केवल छात्रों का अनुदान पैसा नहीं मिला है, बल्कि छात्रावास के वार्डन, रसोइया, सहायक और घरेलू शिक्षकों को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। अभिभावकों में संदेह है कि अनुदान के बिना बच्चों की शिक्षा कैसे जारी रहेगी।
सरकार के इस तरह के रवैये पर सही नहीं है। इस मामले को आदिवासी स्थायी समिति में रखेंगे। क्योंकि आदिवासी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।- योगेश कुमार सिंह, विधायक, सुंदरगढ़
प्रशासनिक कारणों से अनुदान में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि अनुदान कुछ हफ्तों में मिलने की उम्मीद है।- भागीरथ पटेल, जिला कल्याण अधिकारी, सुंदरगढ़
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