माता-पिता को बेहतर जिंदगी देने के लिए स्ट्रीट लाइट में पढ़ रहा बेटा
हॉकी का गढ़ कहे जाने वाले सुंदरगढ़ जिला की देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है। लेकिन संस्थागत खामियां और प्रशासनिक कुव्यवस्था के कारण कई होनहार आज भी ...और पढ़ें

तन्यम सिंह, राजगांगपुर
हॉकी का गढ़ कहे जाने वाले सुंदरगढ़ जिला की देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है। लेकिन संस्थागत खामियां और प्रशासनिक कुव्यवस्था के कारण कई होनहार आज भी समुचित सुविधा नहीं मिलने के कारण ठोकर खा रहे हैं। एक ऐसा ही वाकया राजगांगपुर नगरपालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 से सामने आया है। यहां टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने वाला कक्षा सात का छात्र अभिषेक राय स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर अपनी पढ़ाई करने को विवश है। आज के युग में जहां बिजली और लाइट गांव-गांव, शहर-शहर तक घर-घर में देखी जा सकती है। ऐसे समय में अभिषेक राय को स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठ कर पढ़ाई करते देखना असहज तो करता है।
राजगांगपुर नगरपालिका के वार्ड नंबर 14 में एक टूटी-फूटी झोपड़ी में अपने माता-पिता व छह बहनों के साथ रहने वाला अभिषेक राय रानीबंध हाईस्कूल में कक्षा सात का छात्र है। परिवार में उसके अलावा बड़ी बहन नवीं कक्षा में पढ़ती है। पेशे से गोपालक शंभू राय का इकलौता पुत्र अभिषेक राय भविष्य में अपने माता पिता के लिए कुछ करने का सपना देख रहा है, क्योंकि वह बदाहाली में जी रहा है लेकिन अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के जरिए वह भविष्य में कुछ बनकर अपने माता-पिता को बेहतर जिंदगी देना चाहता है। इसके लिए अभिषेक सालों से घर के पास फुटपॉथ पर लगी स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठ कर अपनी पढ़ाई कर अपने सपने को साकार करने में जुटा है।
हालांकि आजादी के इतने साल बाद भी यदि किसी शहर में अगर कोई बच्चा स्ट्रीट लाइट के सहारे पढ़े जिस शहर के चारों तरफ सैकड़ों कल कारखाने हों तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। अभिषेक राय ने गरीबी से लड़कर पुलिस अधिकारी बनने का जो सपना देखा है वह कैसे साकार होगा, यह चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि लोगों का कहना है कि अगर सरकार की दृष्टि इस बालक पर पड़ जाती तो बालक का अपनी पढ़ाई के बल पर पुलिस अधिकारी बनने का सपना पूरा हो सकता है। राय परिवार आज भी सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित है, अगर सरकार द्वारा बच्चे के पढ़ने की व्यवस्था की जाती है तो अभिषेक राय का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।

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