इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा संबलपुर रोड स्टेशन!
रेलवे के इतिहास में संबलपुर रोड स्टेशन अब इतिहास के पन्नों में सिमटने की कगार पर है।
संवाद सूत्र, संबलपुर : रेलवे के इतिहास में संबलपुर रोड स्टेशन अब इतिहास के पन्नों में सिमटने की कगार पर है। पूर्वतट रेलवे ने अब इस स्टेशन को हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय लिया है। रेलवे के इस निर्णय का पता चलने के बाद एक बार फिर इस स्टेशन को बचाने की मुहिम शुरू हो गई है। स्थानीय लोगों ने इस ऐतिहासिक स्टेशन को किसी भी हालत में बंद नहीं होने देने और इसके लिए आदोलन की तैयारी में जुट गए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी वर्ष 1992-93 में इस स्टेशन को बंद किए जाने का निर्णय लिया गया था और इसके खिलाफ जोरदार आदोलन शुरू होने के बाद रेलवे ने अपना निर्णय वापस लेने समेत इस स्टेशन को नया रूप और सुविधा दिया था।
गौरतलब है कि 128 वर्ष पहले झारसुगुड़ा से संबलपुर के बीच पहली रेल चली थी। तब संबलपुर स्टेशन से करीब डेढ़ किमी पहले डाक सेवा के लिए संबलपुर रोड स्टेशन बनाया गया था। बताते हैं कि राष्ट्रपित महात्मा गाधी जब संबलपुर आए थे तब वह संबलपुर रोड स्टेशन पर उतारे थे। ऐसे में इस स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व भी है। पुराने और नए संबलपुर के बीच स्थित यह स्टेशन यात्रियों के लिए सुविधाजनक भी है। भले ही इस स्टेशन में अधिकाश ट्रेनें नहीं रुकती, लेकिन इस स्टेशन को लेकर लोगों में एक अलग ही लगाव और भावना जुड़ी है। अब, जब पूर्वतट रेलवे के मुख्य परिवहन व योजना प्रबंधक संजय महापात्र ने इस स्टेशन को बंद करने के लिए प्रधान मुख्य वाणिच्य प्रबंधक को पत्र लिखा है तो मामला फिर से गरमा गया है।
गौरतलब है कि संबलपुर रोड स्टेशन संभवत देश का ऐसा पहला स्टेशन था, जहा 1997 से पहले केवल एक लाइन थी। जब संबलपुर से तालचेर के बीच रेल सेवा शुरू हुई तब इस स्टेशन में दो लाइन बनीं। इसके बाद वर्ष 2007-08 में संबलपुर. झारसुगुड़ा के वीच दोहरीकरण हुआ तब इस स्टेशन में एक और प्लेटफार्म और तीसरी लाइन बनीं। रेलवे की मानें तो संबलपुर रोड स्टेशन की वजह से संबलपुर-तालचेर के बीच दोहरीकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से इस स्टेशन को बंद करना आवश्यक हो गया है। इस स्टेशन के बंद होने से चौथी लाइन के लिए स्थान मिल सकेगा और दोहरीकरण कार्य पूरा होने से रेल सेवा में और अधिक सुधार हो सकेगा। रेलवे के इस तर्क पर इस स्टेशन को बचाने की मुहिम में जुटे लोगों का मानना है कि चौथी रेल लाइन के लिए रेलवे को विकल्प तलाशने की जरूरत है। अगर, सच्चे इरादे के साथ विकल्प की तलाश की जाए तो ऐतिहासिक संबलपुर रोड स्टेशन को बंद होने से बचाया जा सकता है।