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    पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस का जोरदार प्रचार

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 12 Feb 2022 07:28 AM (IST)

    त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरु होने के साथ ही जिला में कांग्रेस का प्रचार जोर पकड़ने लगा है।

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    पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस का जोरदार प्रचार

    संवाद सूत्र, संबलपुर : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरु होने के साथ ही जिला में कांग्रेस का प्रचार जोर पकड़ने लगा है। कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए कई नामीगिरामी नेता दलीय उम्मीदवारों के लिए प्रचार में जुट गए हैं।

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    शुक्रवार को पूर्व सांसद व ओडिशा कांग्रेस प्रदेश कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शरत पटनायक, वरिष्ठ नेता आसफ अली खान समेत कई अन्य नेता संबलपुर जिला के कुचिडा ब्लॉक, रेंगाली ब्लॉक और जमनकिरा ब्लॉक के विभिन्न स्थानों में पहुंचकर जिला परिषद के लिए मैदान में उतरे दलीय उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर वोट मांगा। कांग्रेस के नेताओं ने लोगों को कांग्रेस राज में हुए विभिन्न जनहित योजनाओं और विकास कार्यो का हवाला दिया और केंद्र व नवीन पटनायक सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताते हुए लोगों को जागरूक किया। नेताओं ने बताया कि आजादी के बाद देश में जितने विकास कार्य हुए हैं सब कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ, जिसका श्रेय अब दूसरे दल लेने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे दलों से लोगों को सतर्क रहने की जरूरत पर जोर दिया। शैक्षिक संस्थाओं में समानता जरूरी : कर्नाटक के उड् डुपी स्थित पीयू कालेज में हिजाब को लेकर उपजा विवाद चिताजनक है। सभी शैक्षिक संस्थानों में बच्चों के लिए समान पोशाक को प्रधानता मिलनी चाहिए तथा सरकार को इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता शांतनु कुसुम ने की है। शांतनु कुसुम ने कहा है कि देश के अधिकतर स्कूल और कालेजों में ड्रेस कोड लागू है। सभी धर्म संप्रदाय के विद्यार्थी समान पोशाक पहन कर संस्थान में जा रहे हैं, यह उपयोगी व जरूरी भी है क्योंकि इससे विद्यार्थियों के मन में समानता का भाव आता है। इससे गैर छात्रों को संस्थान के अंदर जाने से रोकने में भी सहायक होता है। ऐसे में कर्नाटक में उठा विवाद स्वाभाविक नहीं है। योजनाबद्ध तरीके से इस मामले को हवा देने की कोशिश की जा रही है। इसका खुलासा करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बननी चाहिए। धर्म व अवैज्ञानिक प्रथा सभी के लिए नुकसानदायक है। छात्रों को आदर्श अनुशासन, नया करने की सोच, गुणवत्तापूर्व शिक्षा व जीवन शैली सिखाना चाहिए न कि धर्मिक संकीर्णता। इस तरह की गतिविधि पर रोक लगाने का हर तरह का प्रयास जरूरी है।