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    बीड़ी कारीगर का बेटा देवाशीष बारिक बनेगा डॉक्टर

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 07:37 AM (IST)

    बीड़ी कारीगर मां और एक छोटे किसान के बेटे देवाशीष बारिक का बचपन से डॉक्टर बनने का सपना आने वाले कुछ वर्षों में पूरा होने जा रहा है।

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    बीड़ी कारीगर का बेटा देवाशीष बारिक बनेगा डॉक्टर

    संवाद सूत्र, संबलपुर : बीड़ी कारीगर मां और एक छोटे किसान के बेटे देवाशीष बारिक का बचपन से डॉक्टर बनने का सपना आने वाले कुछ वर्षों में पूरा होने जा रहा है। इस वर्ष उसने नीट की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अपने सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। उसे बुर्ला स्थित वीर सुरेंद्र साय इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च या फिर कटक स्थित श्रीरामचंद्र भंज मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला मिल जाएगा। नीट की परीक्षा में उसने कुल 720 में से 639 अंक हासिल कर देश में 6203वीं रैंक प्राप्त किया है।

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    संबलपुर जिला के मानेश्वर ब्लॉक अंतर्गत एक छोटे से गांव कन्वर का रहने वाला देवाशीष बारिक गरीब श्रेणी के एक छोटे किसान सीताराम बारिक का पुत्र है। पिता के पास करीब दो एकड़ खेत है। पढ़ाई के प्रति देवाशीष की रुचि को देखते हुए उन्होंने देवाशीष का दाखिला धमा स्थित सरस्वती शिशुमंदिर में कराया था। इसके बाद हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए उसने मथुरा प्रसाद हाईस्कूल में दाखिला लिया। देवाशीष जब दसवीं कक्षा में था तभी एक हादसे में पिता सीताराम के पैर ठप से पड़ गया। ऐसे में देवाशीष की मां ने घर परिवार का खर्च संभालने के लिए बीड़ी बनाने का काम शुरू कर दिया। इसके बदले उसे रोज 50- 60 रुपये मिलते थे। इसी से परिवार का गुजारा होने लगा। गरीबी और बेबसी की ऐसी मार से देवाशीष का सपना टूटने लगा था तभी हाईस्कूल के तत्कालीन प्रधान शिक्षक चित्तरंजन प्रधान किसी मसीहा के रूप में उसके जीवन में आए। पढ़ाई के प्रति देवाशीष की लगन को देखते हुए उन्होंने हाईस्कूल के हॉस्टल में उसके रहने की व्यवस्था करने समेत पढ़ाई का सारा खर्च भी अपने जिम्मे ले लिया। इसका नतीजा मैट्रिक की परीक्षा में देवाशीष द्वारा प्राप्त 87 प्रतिशत अंक के रूप में सामने आया। इसके बाद प्रधान शिक्षक चित्तरंजन के सहयोग से देवाशीष ने संबलपुर के एक निजी कॉलेज में दाखिला लेने समेत नीट की तैयारी के लिए कोचिग क्लास भी ज्वाइन की। निजी कॉलेज के श्रीमंत पात्र और कोचिग क्लास के गुप्तेश्वर मेहेर ने भी देवाशीष की प्रतिभा को पहचाना परखा और हरसंभव सहयोग किया। देवाशीष अपने सपने की ओर बढ़ना शुरू किया था तभी कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन हो गया। कॉलेज और कोचिग बंद हो गए। तब देवाशीष ने घर में रहकर यूट्यूब और मोबाइल से पढ़ाई जारी रखी और नीट की परीक्षा में शामिल होकर उत्तीर्ण हुआ। अपनी सफलता का श्रेय उसने अपने माता- पिता के साथ साथ प्रधान शिक्षक चित्तरंजन समेत कॉलेज के श्रीमंत पात्र और कोचिग क्लास के गुप्तेश्वर मेहेर को दिया है। बताया है कि उसने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, जो अब साकार होने वाला है।

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