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    उपेक्षितों को मुख्य धारा में लाना लक्ष्य : मुंडा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 23 Apr 2017 02:46 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला के सेंटर अ

    उपेक्षितों को मुख्य धारा में लाना लक्ष्य : मुंडा

    जागरण संवाददाता, राउरकेला : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑफ ट्राइबल स्टडीज की ओर से दो दिवसीय जनजातीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसके उद्घाटन समारोह में पद्मश्री तुलसी मुंडा ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में सभी लोगों को मौलिक सुविधा नहीं मिल पाई है। आदिवासी क्षेत्र में उपेक्षित लोगों को राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए अंतिम समय तक संघर्ष जारी रहेगा।

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    एनआइटी के मानवता एवं सामाजिक विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित सम्मेलन में पद्मश्री तुलसी मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की 72 प्रकार की भाषा हैं। इन्हें पांच मौलिक अधिकार भरपेट भोजन, रहने के लिए आवास, पहनने के लिए वस्त्र, बीमारी के इलाज के लिए चिकित्सा सुविधा एवं शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। ग्रामांचल में रह रहे आदिवासियों के उत्थान के लिए ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल इलाके प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण हैं। संसाधन का दोहन होने से आदिवासी परंपरागत वन उत्पादों से वंचित हो रहे हैं। कई जगह विस्थापन की समस्या भी है। इस इलाके से प्राप्त राजस्व की तुलना में विकास पर काफी कम खर्च हो रहा है जिससे आदिवासी सुविधा से वंचित हो रहे हैं। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने कहा कि एनआइटी में स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ब्लॉक व पंचायत स्तर के अधिकारियों के साथ ग्रामीण मजदूरों को भी जोड़ना चाहिए तथा इससे इन लोगों को कितना लाभ मिल रहा है इसकी भी समय समय पर समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय से एनआइटी स्थित इस संस्था को 1.04 करोड़ रुपये दिए जायेंगे। इसके लिए 53 लाख रुपये उपलब्ध कराने की बात उन्होंने कही। दो दिवसीय सम्मेलन में भारत सरकार के पंचायती राज विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. एस पटजोशी, उत्कल विश्वविद्यालय मानव शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर केसी शतपथी, मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर यूनएन दास, गुरु घासीदास विश्व विद्यालय के ट्राइबल स्टडीज विभाग प्रमुख नीलकंठ पाणीग्राही, बनई पीए आइटीडीए मीर्धा टोप्पो, आइजीएच के चिकित्साक डॉ. पीसी रथ, एसओएस विलेज के सुदर्शन महंती, टीडब्लूआरआइ रांची के निदेशक डॉ. अभिषेक चौहान, एक्शन एड इंडिया के आंचलिक प्रबंधक देवाशीष पात्रा आदि लोगों ने आदिवासियों के विकास में चुनौतियों व उपाय पर विचार रखे। रविवार को भी देश के जाने माने विशेषज्ञ आदिवासियों के उत्थान पर अपनी राय देंगे।