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    खंडाधार जलप्रपात पर्यटकों के लिए खुला

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 08 Aug 2021 09:14 AM (IST)

    सुंदरगढ़ जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक खंडाधार जल प्रपात को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

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    खंडाधार जलप्रपात पर्यटकों के लिए खुला

    जागरण संवाददाता, राउरकेला : सुंदरगढ़ जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक, खंडाधार जल प्रपात को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। वन विभाग द्वारा संचालित इस जलप्रपात को कोरोना संक्रमण बढ़ने पर चार महीने से बंद किया गया था एवं पर्यटकों के उस क्षेत्र में जाने पर पाबंदी लगी थी। संक्रमण कम होने के बाद इसे खोलने की अनुमति दे दी गई है। पर्यटन के लिए जाने वालों को ऑनलाइन बुकिग कराना होगा।

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    देश का 12वां एवं ओड़िशा का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात खंडाधार, सुंदरगढ़ जिले के बणई अनुमंडल के लहुणीपाड़ा प्रखंड में स्थित है। घने जंगल एवं लौह अयस्क खदान वाले क्षेत्र में करीब 244 मीटर ऊंची पहाड़ी से पानी की धार गिरती है। पाउड़ी भुइयां जाति की आराध्य कांता देवी की पीठस्थली पर तलवार की भांति चमकती धार पर्यटकों को दूर से ही आकृष्ट करती है। जलप्रपात एवं यहां के मनोरम स्थल को देखने के लिए अक्टूबर से जून तक का समय अच्छा होता है। राउरकेला से 104 किलोमीटर एवं बणई अनुमंडल मुख्यालय से 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खंडाधार तक सड़क मार्ग से जा सकते हैं। राउरकेला से लहुणीपाड़ा होकर खंडाधार जाने के लिए पक्की सड़क है। राउरकेला व बणईगढ़ से बस, कार या अन्य वाहन भाड़े पर उपलब्ध हैं। पर्यटन विभाग की ओर से भी यहां आने वाले पर्यटकों के लिए वाहन सुलभ भाड़े पर उपलब्ध कराया जाता है। पर्यटन विभाग व प्रशासन की ओर से यहां पिकनिक के लिए आने वालों की भीड़ को देखते हुए इस क्षेत्र में विकास का काम किया गया है। करीब तीस करोड़ की लागत से विभिन्न योजनाओं को पूरा किया गया है। पिकनिक स्थल पर जाने के लिए जलप्रपात से उतरने वाले कोरापानी नाला का पानी पार करना पड़ता है। इसे पार करने के लिए पुल बनाने के साथ-साथ नाले में उतरने के लिए सीढ़ी भी बनाई गई है। परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए अलग-अलग चबूतरे तैयार किए गए हैं। यहां आने वालों के लिए जलप्रपात के निकट ही ठहरने की व्यवस्था है। सुलभ दर पर गेस्ट हाउस उपलब्ध है। यहां ऑर्डर पर पर्यटकों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था होती है। आसपास के गांव के लोग भी यहां आने वालों की हर तरह की मदद करते हैं एवं इसके एवज में जो मेहनताना बनता है वे लेते हैं। चार महीने तक पर्यटकों के लिए इसे बंद रखने के बाद इसे फिर से खोला गया है। इसके लिए पर्यटकों को ऑनलाइन बुकिग कराना होगा।