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    पश्चिम ओडिशा में आस्था का केंद्र है घोघड़धाम

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    Updated: Tue, 09 Aug 2016 02:47 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, राजगांगपुर : पश्चिमी ओडिशा और आसपास के पड़ोसी राज्यों के लोगों में घोघ् ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, राजगांगपुर : पश्चिमी ओडिशा और आसपास के पड़ोसी राज्यों के लोगों में घोघड़धाम को लेकर अपार आस्था है। हर साल लाखों की संख्या में लोग भगवान शिव पर आस्था का जलाभिषेक करने घोघड़धाम पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में की गई पूजा-अर्चना भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है। घोघड़धाम के विकास के लिए मंदिर प्रबंधन लगातार प्रयासरत है। भविष्य की योजनाओं को लेकर घोघड़धाम मंदिर समिति के प्रबंधक घोघड़मल गाडोदिया के साथ हुई 'दैनिक जागरण' के राजगांगपुर संवाददाता तन्मय ¨सह की बातचीत के प्रमुख अंश:-

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    - घोघड़ धाम के इतिहास पर आप कुछ प्रकाश डालें?

    - मेरी जानकारी के अनुसार लगभग 150 वर्ष पूर्व श्री घोघड़ेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना हुई। तत्कालीन सुंदरगढ़ रानी को महादेव की उपस्थिति का स्वप्न में भान हुआ। उसी समय रानी ने घोघड़ के लोगों को अपनी मंशा से अवगत कराया। उस दौरान गांव के ही एक व्यक्ति की गाय एक जगह स्वत: अपने थन से दुग्ध की धारा बहाती थी। वहां से मिट्टी व बालू की परत हटाने पर घोघड़ेश्वर प्रभु की शिव¨लग प्रकट हुई। सभी के सहयोग से वहां एक छोटा सा मंदिर बनाया गया।

    - मंदिर की खूबसूरत कलाकृति के बार में कुछ बताएं?

    - यह मंदिर पूरी तरह उत्कल कलाकृति से युक्त वास्तु कला पर आधारित है। इसके पूर्वाभिमुख दो नदियों का संगम है।

    - यहां व्यवस्था की जिम्मेवारी किसके हाथों में है?

    - पहले राउरकेला और राजगांगपुर के राजस्थानी समाज के कुछ परिवार इसकी देखरेख की जिम्मेवारी निभा रहे थे। कांवरिये भी भक्ति भाव और अनुशासित हो पूजा करते थे। बाद में नवयुवक संघ, राजगांगपुर काफी वर्षों तक अपनी सेवा देता रहा। इसके पश्चात नव चेतना मारवाड़ी युवा मंच, बजरंगदल, स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आज तक व्यवस्था चली आ रही है।

    - सावन में कितनी भीड़ होती है?

    - घोघड़ेश्वर महादेव की ख्याति एवं लोगों का विश्वास धीरे धीरे बढ़ने लगा है। झारखंड, ओड़िशा के अलावा छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जलाभिषेक को आते हैं। विशेषकर सावन महीने के रविवार व सोमवार को कांवरियों एवं भक्तों की भीड़ लाखों में होती है। पूरे सावन महीने के अलावा अन्य दिनों में भी सोमवार के दिन बाबा का दरबार भक्तों से भरा रहता है।

    - शिव¨लग के प्रति कैसी है लोगों की आस्था ?

    - : बाबा के इस दरबार की खास बात यह है कि इन्हें पुत्र प्रदाता शिव भोले के रूप में जाना जाता है। श्रधालुओं की मनोकामना शिव भोले पूरी करते हैं और अपना प्रेम भक्तों पर बरसाते हैं। घोघड़ धाम ट्रस्ट पिछले 25 वर्षों से घोघड़ धाम की पर्याप्त व्यवस्था संभालता आ रहा है।

    - घोघड़धाम के विकास को लेकर भविष्य की क्या योजनाएं है?

    - विगत आठ वर्षों से मैं कार्यवाहक ट्रस्टी के रूप में घोघड़ धाम की व्यवस्था सुचारु रूप से देखता आ रहा हूं। इसमें सात ट्रस्टी जुड़े हैं। वर्तमान में घोघड़ धाम मे दो भंडार गृह, गेस्ट हाउस, पार्क, पानी की व्यवस्था के लिए दो बो¨रग, एक डीजी सेट नया लगा है। पुरानी धर्मशाला व यात्री गृहों को पुनरुद्धार किया गया है। भविष्य में घोघड़धाम को और सुंदर और विकसित बनाने के लिए एक पिकनिक स्पाट ओसीएल इंडिया के सहयोग से बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा पश्चिम ओडिशा विकास परिषद के चेयरमैन किशोर महांती के सहयोग से यहां 20 शौचालय, स्नानागार बनने जा रहा है।