20 जनवरी से होगी शिशु संपर्क यात्रा की शुरुआत, बच्चों से संपर्क करेगा सुरक्षा आयोग
कोरोना संक्रमण के कारण दस माह से घरों में बंद बच्चों की समस्याओं और असुविधा के निदान के लिए शिशु सुरक्षा आयोग उनसे संपर्क करेगा। ये यात्रा 20 जनवरी से पुरी में और 21 एवं 22 जनवरी को डेलांग कणास पिपिली इलाके में होगी।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के कारण लगभग 10 महीने से छोटे-छोटे बच्चे घर में ही रहने को मजबूर हैं। ऐसे में इसका सीधा असर बच्चों के मानसिक पर पड़ा है जिसे दूर करने के लिए राज्य शिशु आयोग ने कमर कसी है। लॉकडाउन एवं विद्यालय बंद होने से शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में शिशुओं को विभिन्न प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ा है। मानसिक, शारीरिक तथा शैक्षिक क्षेत्र में बाधाएं आई है। शिशुओं की विभिन्न समस्या का समाधान करने के लिए उनके साथ सीधा संपर्क करने का निर्णय शिशु सुरक्षा आयोग ने लिया है। शिशु अपनी शिकायत सीधे तौर पर आयोग के सामने कर पाएंगे। इसके बाद शिशु संपर्क यात्रा के जरिए इन समस्याओं के बारे में अभिभावकों के साथ चर्चा की जाएगी और इन समस्याओं के समाधान के लिए रास्ता निकलने की बात राज्य शिशु सुरक्षा आयोग की अध्यक्ष संध्यावती प्रधान ने कही है।
शिशु संपर्क यात्रा की शुरुआत
राज्य शिशु सुरक्षा आयोग की अध्यक्ष ने कहा है कि 20 जनवरी से पुरी से शिशु संपर्क यात्रा शुरु की जाएगी। 21 एवं 22 जनवरी को डेलांग, कणास, पिपिली इलाके में शिशुओं की शिकायत को सुना जाएगा और उनका समाधान किया जाएगा। इसके बाद खुर्दा, नयागड़, जाजपुर, भद्रक आदि जैसे जिलों में जहां पर अधिक शिकायत सामने आएगी वहां पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम के लिए एक्शन एड, चिल्ड्रन फंड इंडिया तथा नॉलेज पार्टनर संस्था सहयोग करेगी। करीबन 1 साल से बच्चे घरों में रह रहे हैं। ऐसे में कई जगहों पर बच्चे विभिन्न प्रकार के अत्याचार, बाल विवाह तथा दुराचार का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना के दिन से ही काफी संख्या में शिकायतों का समाधान नहीं हो पाया है।
शिकायतों का होगा समाधान
इन शिकायतों का समाधान करने के लिए आयोग की तरफ से यह निर्णय लिया गया है। इसमें शिशुओं की शिक्षा समस्या, कोरोना के बाद विद्यालय की आधार भूमि, पेयजल समस्या, असहाय अवस्था में रहने वाले शिशु, शिशु श्रमिक, बाल विवाह, भिक्षावृत्ति जैसी समस्या के बारे में चर्चा करने के साथ उसका समाधान निकाला जाएगा। आयोग ने इसके लिए विभिन्न ने जिला एवं ब्लाक स्तर पर शिशु संपर्क यात्रा करने की योजना बनाई है। राज्य शिशु सुरक्षा अधिकार आयोग की अध्यक्ष संध्यावती प्रधान ने कहा है कि आगामी पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए प्राथमिक विद्यालयों को बेहतर बनाने की जरूरत है। शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए शैशव शिक्षा पर महत्व दिया जाना चाहिए। शिशु को सुरक्षित रखने के लिए शिक्षा प्रमुख हथियार है। शिशुओं पर होने वाले अत्याचार एवं दुर्व्यवहार को कम करने के लिए यह व्यवस्था की गई है।