Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Odisha News: शुरू हुआ भगवान जगन्नाथ के रथ को तोड़ने का काम, जानें किस काम आएगी लकड़ी

    पुरी के जगन्नाथ धाम में रथ तोड़ने की परंपरागत प्रक्रिया शुरू हो गई है। द्वादश यात्रा के बाद श्रीमंदिर प्रशासन के आदेश पर भोई सरदार के नेतृत्व में सेवक रथों को तोड़ रहे हैं। पहले दिन सुभद्रा के रथ को तोड़ा गया। रथों के अवशेषों का उपयोग रसोई में होगा और चक्र जैसे हिस्से भक्तों के लिए नीलाम किए जाएंगे।

    By Sheshnath Rai Edited By: Nishant Bharti Updated: Sat, 23 Aug 2025 12:40 PM (IST)
    Hero Image
    सिंहद्वार के सामने शुरू हुआ रथ तोड़ने का कार्य

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। जगन्नाथ धाम में सिंहद्वार के सामने रथों को तोड़ने की परंपरागत प्रक्रिया शुरू हो गई है।द्वादश यात्रा पूरी होने के बाद पार्श्व देवी-देवियों को स्थानांतरित कर लिया गया था और कलश समेत अन्य संरचनाओं को उतार दिया गया था।इसके बाद श्रीमंदिर प्रशासन के आदेश पर भोई सरदार के नेतृत्व में नौ भोई सेवक आज से रथ तोड़ने में जुट गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पहले दिन देवी सुभद्रा के देवदलन रथ को तोड़ा गया। कलश से लेकर पारा भाड़ी और द्वारबेडा तक कई हिस्से उतार दिए गए। इसके बाद क्रमशः श्रीबलभद्र के तालध्वज रथ और महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के नंदीघोष रथ को तोड़ा जाएगा।

    भोई सरदार रवि भोई ने बताया कि नारियल पूजा (नड़िया माहार्द) के बाद ही रथ तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।एक रथ को तोड़ने में लगभग 4 से 5 दिन लगते हैं।लिहाजा तीनों रथों का काम पूरा होने में 12 से 15 दिन का समय लगेगा।इस वर्ष विशेष प्रबंध के तहत सिंहासन, प्रभा, नाटगोड़, गूज और चक्र समेत सभी हिस्सों को मसानी चंडी मंदिर के पास बने नए रथ गोदाम में रखा जाएगा।केवल रथ सारथी ही नरेंद्र पोखरी के पास रहेंगे।

    वहीं, रथ के चक्र, असुआरी और गूज को श्रीमंदिर प्रशासन की ओर से नीलामी प्रक्रिया में भक्त खरीद सकेंगे।महाराणा सेवकों को परंपरा के अनुसार तीनों रथों के 12 द्वारबेडा प्राप्य के रूप में दिए जाएंगे।

    नंदीघोष रथ के प्रमुख भोई सेवक कार्तिक भोई ने बताया कि रथ तोड़ने के बाद बची हुई लकड़ी को कोठ भोग रसोई में जलावन के रूप में उपयोग किया जाएगा।इससे लगभग 6 से 7 महीने तक कोठ भोग तैयार किया जाएगा।इसी दौरान देवदलन रथ में लगे कांटेदार लकड़ी को पाने के लिए भक्तों की भीड़ देखी गई।

    मान्यता है कि इसे आंगन में लगाने से फल-फूल की प्राप्ति होती है।हालांकि प्रशासन की ओर से किसी को लकड़ी या कांटे नहीं दिए गए।

    मुख्य प्रशासक डॉ. अरविंद पाढ़ी ने कहा कि रथ गोदाम का पूजन पूरा हो चुका है।अब सभी रथांश वहीं सीसीटीवी निगरानी में रखे जाएंगे।तीनों रथों के चक्र और अन्य हिस्सों को नीलामी में उपलब्ध कराया जाएगा।रथ तोड़ने के समय पूरे क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।