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    पंचायत चुनाव में आदिवासी देंगे बैलेट से जवाब

    त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आदिवासियों की उपेक्षा हुई है। आरक्षण कि व्यवस्था में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व के अवसर को संकुचित किया गया है। राजनीतिक क्षेत्र में आदिवासियों के अवरोध से आर्थिक समाजिक व शिक्षा क्षेत्र में आदिवासी दुर्बल होंगे। सरकार की आदिवासी विरोधी नीति व आरक्षण में उपेक्षा का जवाब चुनाव में बैलेट पेपर से दिया जायेगा।

    By JagranEdited By: Updated: Mon, 07 Feb 2022 09:30 AM (IST)
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    पंचायत चुनाव में आदिवासी देंगे बैलेट से जवाब

    संवाद सूत्र, झारसुगुड़ा : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आदिवासियों की उपेक्षा हुई है। आरक्षण कि व्यवस्था में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व के अवसर को संकुचित किया गया है। राजनीतिक क्षेत्र में आदिवासियों के अवरोध से आर्थिक ,समाजिक व शिक्षा क्षेत्र में आदिवासी दुर्बल होंगे। सरकार की आदिवासी विरोधी नीति व आरक्षण में उपेक्षा का जवाब चुनाव में बैलेट पेपर से दिया जायेगा। यह बात सम्मिलित आदिवासी समाज के पदाधिकारियों ने मीडिया से बातचीत करते हुए कही।

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    झारसुगुड़ा के कापुमाल स्थित गोंड़ भवन में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में संगठन के मुख्य सलाहकार वरिष्ठ आदिवासी संगठक महेन्द्र नायक ने कहा कि पंचायत चुनाव में आदिवासियों के लिए सीट आरक्षण में उपेक्षा की गई है। राज्य के 195 ब्लाक के सरपंच व समिति सदस्य के पद तथा 23 जिला परिषद अध्यक्ष सीट पर आदिवासियों के लिए आरक्षित नहीं की गई है। जिससे आदिवासियों का संवैधानिक अधिकार का हनन हुआ है। सरकार के इस प्रकार के कदम को सहन नहीं किया जाएगा। राज्य में गत 2002 से एसटी व एससी कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं दी गई है। इसे लेकर सम्मिलित आदिवासी समाज की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आदिवासियों के हितों की अनदेखी का जवाब पंचायत में सत्तारुढ़ दल के विरोध में आदिवासी समाज मतदान करेगा। कहा कि जो भी आदिवासियों के खिलाफ होगा उसका सहयोग आदिवासी समाज नहीं करेगा। आदिवासी महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले झारसुगुड़ा एसपी के विरोध में उच्चस्तरीय जांच कराने व उचित कार्रवाई करने की मांग भी समाज कि ओर से की गई है। आईटीडीए स्थापना तथा पीएसपी ब्लाक स्थापना को ले कर स्थानीय विधायक के दृष्टिकोण की भी संगठन ने कड़ी आलोचना की है। संवाददाता सम्मेलन में महेन्द्र नायक,अध्यक्ष माधव सिंह नायक, सलाहकार प्रभाकर ओराम, बुन्दे धुर्वा व रत्नाकर प्रधान आदि मंचासीन थे।