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    आजादी में गोड़ राजाओं का अहम योगदान: दास

    जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा : यह सर्व विदित है कि भारत की सबसे पुरानी आदिम जनजाति गोंड है और इनका व

    By Edited By: Updated: Mon, 28 Dec 2015 01:03 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा :

    यह सर्व विदित है कि भारत की सबसे पुरानी आदिम जनजाति गोंड है और इनका विस्तार केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में है। भारत के अलावा कांबोडिया, श्रीलंका, थाइलैंड, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, हांगकांग, बंग्लादेश, सुरीनाम, इंडोनेशिया सहित अन्य देशों में गोड़ जनजाति पायी जाती है। गोंड जाति को सहासी, लड़ाकू व अपनी मातृभूमि व ऑनलाइन के लिए ये पीछे नहीं हटते। देश की आजादी में भी गोंड राजाओं व गोंड जाति के लोगों का अवदान महत्वपूर्ण है। हम सभी जिलेवासियों को गर्व होना चाहिए। उक्त बातें अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड समाज के 11वां राष्ट्रीय अधिवेशन के तीसरे दिन झारसुगुड़ा विधायक नव किशोर दास ने कही।

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    उन्होंने कहा कि गोंड समाज के लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे आगे बढ़चढ़कर कोलाबीरा में ¨लगराजा बड़देव के मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ करें। इसमें जो भी सहयोग होगा मैं करने को तैयार हूं। इस अवसर पर गोंड समाज के अखिल भारतीय अध्यक्ष शिशुपाल शेरी, ओडिशा राज्य के अध्यक्ष महेंद्र नायक, लैयकरा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष जोगेंद्र नायक सहित अन्य अतिथियों ने समाज के मेधावी छात्र- छात्राओं को सम्मानित किया। इसके बाद अधिवेशन की महिलाओं का महिला शक्ति सम्मेलन आरंभ हुआ, जिसमें ओडिशा प्रदेश गोंडवाना गोंड महिला की अध्यक्ष शुकांति वाला नायक, मध्यप्रदेश की हिराशन नायक, सुशीला धुर्वा, दुर्गावती उईके, झारसुगुड़ा गोंडवाना गोंड समाज की अध्यक्ष भारती नायक सहित अन्य ने समाज में महिलाओं का उत्थान व उसके विकास पर विचार व्यक्त किए। सम्मेलन में कई महिलाओं ने अपनी मातृ भाषा गोंडी में अपने विचार रखे। इसके बाद देश के विभिन्न राज्यों से आए समाज के कलाकारों ने अपनी परंपरा व संस्कृति के तहत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।