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    साहित्य के अनूठे साधक थे सारला दास : राज्यपाल

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 23 Nov 2018 04:08 PM (IST)

    सारला साहित्य संसद का 37वां वाíषक उत्सव गुरुवार की शाम नगर के बीजू पटनायक चौक स्थित सारला भवन में आयोजित किया गया। ...और पढ़ें

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    साहित्य के अनूठे साधक थे सारला दास : राज्यपाल

    जागरण संवाददाता, कटक : सारला साहित्य संसद का 37वां वाíषक उत्सव गुरुवार की शाम नगर के बीजू पटनायक चौक स्थित सारला भवन में आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने भाग लेकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि सारला दास विश्व साहित्य के एक अनन्य व्यक्तित्व थे। उनके द्वारा लिखी गई ओड़िया महाभारत अनूठी उपलब्धि है। सारला दास ने अपनी रचना में नारी शक्ति की आराधना के साथ नारी सशक्तीकरण को बल दिया। इसलिए आज देश में महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। राज्यपाल ने कहा, वास्तव में सारला दास साहित्य के अनूठे साधक थे।

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    सारला साहित्य संसद के अध्यक्ष इंजीनियर प्रभाकर स्वाईं की अध्यक्षता में आयोजित इस उत्सव में सरस्वती सम्मान प्राप्त कवि रमाकांत रथ, ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कथाकार पद्मश्री डॉ. प्रतिभा राय, पूर्व प्रमुख सचिव सहदेव साहू आदि की मौजूदगी में जाने-माने कवि डॉ. सौभाग्य कुमार मिश्र को इस साल के सारला सम्मान, वैज्ञानिक प्रो. डॉ. त्रिलोचन प्रधान को क¨लग रत्न एवं कवि डॉ. जगन्नाथ प्रसाद दास को साहित्य रत्न सम्मान से नवाजा गया। इस मौके पर इंजीनियर प्रभाकर स्वांई द्वारा रचित पुस्तक मनु भंडारी की श्रेष्ठ कहानी का राज्यपाल ने विमोचन भी किया। डॉ. सुलोचना दास के स्वागत भाषण से शुरू इस उत्सव में प्रो. डॉ. निरंजन त्रिपाठी ने वाíषक विवरण पढ़ा जबकि साहित्यकार संजीव पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।