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    Jagannath Rath Yatra: महाप्रभु जगन्नाथ ने भक्तों को दिए दर्शन, रथ खींचने को उमड़ा लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम

    By Sheshnath RaiEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Fri, 27 Jun 2025 01:08 PM (IST)

    Jagannath Rath Yatra: पुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ जी की वार्षिक गुंडिचा यात्रा शुक्रवार को शुरू हुई। सुबह की रीति-नीति और पहंडी बिजे के बाद, गजपति महाराज ने छेरा पहंरा किया। फिर, बलभद्र, सुभद्रा और अंत में जगन्नाथ जी के रथों को भक्तों ने खींचा, जिससे पूरा धाम जगन्नाथ जी के जयकारों से गूंज उठा। 

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    रथ खींचने को उमड़ा श्रद्धालुओं का हुजूम। (जागरण)

    शेषनाथ राय, पुरी। पुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ जी की नव दिनात्मक गुंडिचा यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि शुक्रवार से शुरू हो गई। मंदिर के अंदर सुबह की रीति-नीति संपन्न होने के बाद चतुर्धा विग्रहों की पहंडी बिजे नीति सम्पन्न की गई।

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    रथ के ऊपर रीति नीति सम्पन्न होने के बाद तीनों रथों को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। रथ के ऊपर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाई, जिसे छेरा पहंरा कहते हैं।

    इसके बाद अन्य रीति नीति सम्पन्न होने के बाद सबसे पहले प्रभु बलभद्र जी के तालध्वज एवं फिर देवि सुभद्रा जी का रथ दर्प दलन को भक्तों द्वारा खींचा गया।

    सबसे अंत में जगत नियंता जगन्नाथ महाप्रभु के नंदीघोष रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई। महाप्रभु के रथ को जैसे ही भक्तों ने खींचना शुरू किया पूरा श्रीक्षेत्र धाम जगन्नाथ जी की ध्वनि से प्रकंपति हो गया।

    रथ के ऊपर भीड़ को नियंत्रित करने हेतु अनधिकृत व्यक्तियों के लिए रथ पर चढ़ना और श्रीविग्रह को छूना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहा।

    यह सुनिश्चित करने के लिए कि भक्तों को रथारूढ़ श्रीविग्रह का सुचारू दर्शन हो, ठाकुर की सेवा पूजा के दौरान विग्रह के दोनों सामने किसी भी सेवक को खड़े रहने की अनुमति नहीं थी।

    रथयात्रा के दिन किसी भी आगंतुक या अनधिकृत व्यक्ति को मंदिर जगमोहन या नाटमंडप में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। रथ के आगे किसी भी सेवक को नहीं जाने दिया गया, फूल आदि फेंकने पर पाबंदी लगाई गई थी।

    रथयात्रा की व्यवस्थाओं में यह पहले से ही स्पष्ट कर दिया गया था, जिससे रथारूढ़ भगवान के दर्शन आसानी से भक्त कर सके। रथ पर केवल संबंधित सेवक और ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी को ही जाने की अनुमति थी।

    श्री बलभद्र के रथ में 60 व्यक्ति, देवी सुभद्रा के रथ में 50 व्यक्ति और श्री जगन्नाथ के रथ में 70 व्यक्ति के रहने की अनुमति दी गई थी। तीनों रथों में कुल 180 सेवक उपस्थित रहे।

    सुरक्षा के रहे चाक चौंबद इंतजाम

    महाप्रभु जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सुरक्षा के चाकचौंबद इंतजाम रहे। सुबह 8 बजे से ही मेडिकल चौक से वाहनों के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया गया था।