Move to Jagran APP

Navratri 2022: संपूर्ण पृथ्वी को कहा जाता है माता का मायका, शैलपुत्री के रूप में क्‍यों होती है मां की पूजा

Shardiya Navratri 2022 नवरात्र की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में खासी हलचल देखी जा रही है। घट स्‍थापना के साथ ही आज मां शैलपुत्री की उपासना की जा रही है। पर्वत को शैल भी कहा जाता है इसलिए माता का प्रथम रुप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

By JagranEdited By: Babita KashyapPublished: Mon, 26 Sep 2022 10:58 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 10:58 AM (IST)
Navratri 2022: संपूर्ण पृथ्वी को कहा जाता है माता का मायका, शैलपुत्री के रूप में क्‍यों होती है मां की पूजा
Maa Shailputri Puja: मां दुर्गा के नौ रुपों में पहला रुप है शैलपुत्री का है

भुवनेश्वर/अनुगुल, जागरण संवाददाता। Shardiya Navratri 2022: मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा के साथ ही तमाम पूजा पंडाल एवं घरों में सादर नवरात्रि उत्सव शुरू हो गया है। राजधानी भुवनेश्वर से लेकर कटक, पुरी, अनुगुल, ढेंकानाल, बालेश्वर आदि तमाम शहरों में आज बड़े ही धूमधाम के साथ नवरात्रि उत्सव मनाया जा रहा है।

loksabha election banner

नवरात्र का आज पहला दिन होने से विभिन्न मंदिरों में भक्तों की खासी भीड़ देखी गई। सुबह-सुबह के समय लोगों ने मंदिर जाकर दीप प्रज्ज्वलित कर मां के साथ विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की।

जानकारी के मुताबिक मां दुर्गा के नौ रुपों में पहला रुप है शैलपुत्री का। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना (Ghat Sthapna) के साथ देवी के इसी रुप की पूजा की गई है। मां का यह रुप सौम्य और भक्तों को प्रसन्नता देने वाला है।

ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थी। दक्ष के यज्ञ कुंड में जलकर देवी सती ने जब अपने प्राण त्याग दिए तब महादेव से पुनः मिलन के लिए उन्होंने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रुप में जन्म लिया।

माता का प्रथम रूप शैलपुत्री

पर्वतराज हिमालय (Himalya) की पुत्री होने के कारण ये हेमवती और उमा नाम से जानी जाती हैं। पर्वत को शैल भी कहा जाता है इसलिए माता का प्रथम रुप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने अपने पूर्वजन्म के पति भगवान शिव को पुनः पाने के लिए वर्षों कठोर तप किया।

इनके तप से प्रसन्न होकर महादेव (Lord Shiva) ने पार्वती (Parvati) को पत्नी रुप में स्वीकार कर लिया। विवाह के पश्चात देवी पार्वती अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।

संपूर्ण पृथ्वी है माता का मायका

इसके बाद मां पार्वती हर साल नवरात्र के नौ दिनों में पृथ्वी पर माता-पिता से मिलने अपने मायके आने लगीं। संपूर्ण पृथ्वी माता को मायका माना जाता है। नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है।

भगवती का वाहन बैल है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। इसके साथ ही इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। दुर्गम स्थलों पर स्थित बस्तियों में सबसे पहले शैलपुत्री के मंदिर की स्थापना इसीलिए की जाती है कि वह स्थान सुरक्षित रह सके।

यह भी पढ़ें-

Shardiya Navratri 2022: भोपाल का एकमात्र मंदिर जहां गर्भगृह में विराजी हैं नौ दुर्गा, सुबह 4 बजे होता है मां का श्रृंगार

Navratri 2022: नवरात्र में दो सोमवार से बन रहा हैं खास संयोग, मिलेगा करोड़ गुना फल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.