Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Odisha News: राष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा गांव का प्रोजेक्ट, नाव हादसे रोकेगा 'टाइटैनिक 2.0'

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 09:10 AM (IST)

    ओडिशा की ललिता खील ने 'टाइटैनिक 2.0' नामक एक नाव सुरक्षा मॉडल बनाया है, जो बालिमेला जलाशय में नाव दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करेगा। यह मॉडल नाव को पलटने से बचाने के लिए हवा से भरे थैले और एक बैलेंस ट्यूब का उपयोग करता है। ललिता के इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय विज्ञान मेले के लिए चुना गया है, जहाँ यह प्रदर्शित किया जाएगा।

    Hero Image

    ललिता और शिक्षक देबव्रत दास

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। स्वाभिमान क्षेत्र के कई गांव बालिमेला जलाशय से घिरे हुए हैं। इन गांवों के लोगों के लिए जलमार्ग ही आवागमन का एकमात्र साधन है। परिणामस्वरूप हर वर्ष नाव डूबने से कई लोगों की जान चली जाती है। ऐसी स्थिति में नाव दुर्घटना रोकने के लिए नवम कक्षा की छात्रा ललिता खील ने एक नया वैज्ञानिक प्रयोग तैयार किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उनका विज्ञान प्रोजेक्ट ‘टाइटैनिक 2.0’ नाव हादसे से सुरक्षा प्रदान करने वाला अभिनव मॉडल है। निरीक्षकों को यह मॉडल इतना प्रभावित कर गया कि उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित कर लिया। यह प्रोजेक्ट आगामी 18 नवंबर को भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान मेला में प्रदर्शित किया जाएगा।

    मलकानगिरी जिले के चित्रकोंडा ब्लॉक स्थित आरएससी-6 सरकारी यूजीएचएस स्कूल की छात्रा ललिता, चित्रकोंडा ब्लॉक के दोरागुड़ा पंचायत के दूरस्थ बुरुड़िपुट गांव की निवासी हैं। उनका गांव बालिमेला जलाशय के किनारे स्थित है।

    समस्या से शुरू हुआ समाधान का सफर

    दोरागुड़ा घाट पर पुल न होने के कारण लोग एक किनारे से दूसरे किनारे तक नाव से पार करते हैं, जो रस्सी के सहारे चलती है। हर वर्ष नाव डूबने से कई लोगों की मौत होती है। इस समस्या से प्रेरित होकर ललिता ने सेफ्टी बोट ‘टाइटैनिक 2.0’ का निर्माण किया, जो अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है।

    प्रोजेक्ट के निर्माण में ललिता को शिक्षक देबव्रत दास और प्रधान शिक्षक डम्बरुधर गोलरी ने सहयोग किया। जिला स्तर से चयनित यह प्रोजेक्ट कोलकाता में आयोजित क्षेत्रीय विज्ञान मेले में भी सराहा गया और राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुआ।

    कैसे काम करती है नाव?

    ललिता के अनुसार, सामान्य नाव के अंदर का भाग खाली होता है। हादसे के समय जब लोग घबराकर एक ओर इकट्ठे हो जाते हैं, तो नाव असंतुलित होकर पलट जाती है। उनकी सेफ्टी बोट में खाली स्थान पर हवा से भरी थैलियां (एयर बैग) लगाई गई हैं और एक बैलेंस ट्यूब जोड़ी गई है, जो पास्कल के सिद्धांत पर आधारित है। क्षेत्रफल बढ़ने पर दबाव घट जाता है, इसलिए इस बोट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया है।

    यदि हादसे के दौरान लोग एक ओर चले जाएं, तो दबाव समान रूप से सभी दिशाओं में बंट जाएगा और नाव पलटेगी नहीं। साथ ही, यदि नाव में उसकी क्षमता से अधिक लोग सवार हो जाएं, तो यह सायरन बजाकर चेतावनी देगी। अगर चेतावनी के बाद भी लोग नहीं उतरते, तो बोट नीचे की ओर झुकेगी, लेकिन नीचे मौजूद हवा भरे थैले के कारण वह पूरी तरह नहीं डूबेगी।

    ललिता ने इस अभिनव सेफ्टी बोट का नाम ‘टाइटैनिक-2.0’ रखा है। प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होने के बाद उनके पिता परशु खील, माता दमयंती खील, गांववासी और स्कूल के सभी शिक्षक-कर्मचारी गर्व और खुशी व्यक्त कर रहे हैं।