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    Odisha News: राउरकेला सरकारी अस्पताल में करोड़ों की हुई थी धोखाधड़ी, विजिलेंस टीम शुरू की जांच

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 03:01 PM (IST)

    राउरकेला सरकारी अस्पताल में अनियमितताओं की विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। जिला कांग्रेस की शिकायत पर 2019 से 2024 तक के टेंडर वेंडर नियुक्ति और उपकरण खरीद में गड़बड़ी की जांच की जा रही है। अस्पताल पर 25 करोड़ से अधिक की अनियमितता का आरोप है जिसमें केमिकल आपूर्ति और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति जैसे मामले शामिल हैं। विजिलेंस ने फाइलें जब्त कर जांच शुरू कर दी।

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    राउरकेला सरकारी अस्पताल में अनियमितता की विजिलेंस जांच शुरू। जागरण फोटो

    जागरण संवाददाता, राउरकेला। राउरकेला सरकारी अस्पताल में अनियमितता की जांच विजिलेंस विभाग की ओर से शुरु की गई है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के फाइल जब्त किए गए हैं। जिला कांग्रेस की ओर से अस्पताल में अनियमितता की शिकायत की गई थी।

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    शिकायत के आधार पर विभाग की ओर से 2019 से 2024 तक हुई गड़बड़ी की जांच की जा रही है। पांच साल के टेंडर समझौता, वेंडर नियुक्ति, लेप्रोस्कोपिक मशीन व अन्य उपकरण खरीदने में नियमों का उल्लंघन हुआ है। अस्पताल में पांच साल के अंदर 25 करोड़ से अधिक की गडबड़ी हुई है।

    राउरकेला सरकारी अस्पताल में केमिकल की आपूर्ति, लांउड्री सेवा, सफाई सेवा, सुरक्षा कर्मी उपलब्ध कराने, आउट सोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति, लेप्रोस्कोपिक मशीन, मोर्च्युरी खरीदने, सीआरएस फंड समेत अन्य योजनाओं में पांच वर्ष में करोड़ों की गड़बड़ी हुई है।

    आरजीएच में वर्षों से टेंडर नहीं हुआ था। जो वेंडर एक बार काम लिया वह विभिन्न हथकंडे अपनाकर अवधि बढ़ाता रहा था। जिससे अनियमितता के रास्ते खुलते गए। 2017 में एक बार टेंडर हुआ था एवं वेंडर की सेवा मुहैया करायी गई थी।

    टेंडर की शर्त व समझौता के अनुसार कहीं दो साल तो कहीं तीन साल की अवधि थी। आरजीएच में भ्रष्ट प्रबंधक को प्रभावित कर इसे दुबारा नवीकरण करने में सफल हुए थे।

    पांच से सात साल तक वे आरजीएच में जमे हैं। सेवा से अधिक अनियमितता को इनके द्वारा बढ़ावा दिया गया। केवल वेंडिंग ही नहीं, बल्कि नियुक्ति के क्षेत्र में भी गड़बड़ी की गई।

    2019 से 2024 तक आरजीएच में विभिन्न उपकरण एवं सामग्रियों की खरीददारी की गई थी और कई अनावश्यक सामग्रियों व उपकरणों की बिक्री की गई।

    अस्पताल में नए मार्च्यूरी खरीदने के लिए चालू मार्च्यूरी को रद्दी बताकर बेच दिया गया था। नियम का उल्लंघन होने पर तत्कालीन प्रबंधक मोहित श्रीवास्तव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई एवं बाद में भ्रष्टाचार में संलिप्त पाये जाने पर नौकरी से बर्खास्त किया गया था।

    अस्पताल में डेढ़ करोड़ का लेफ्रोस्कोपिक मशीन पहले से ही खराब पड़ा है। बीएसएकेवाई कार्ड की राशि हड़पने के लिए आरजीएच से निजी अस्पतालों मरीजों को रेफर करने वाले आरोप भी लगते रहे हैं।

    इन सभी कारणों से जिला कांग्रेस की ओर से इसकी विजिलेंस जांच की मांग की गई थी। विजिलेंस अधिकारियों ने इसकी फाइल कब्जे में लेकर जांच शुरु की गई है।

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