मौसी घर से भाई-बहन के साथ धाम लौट चले प्रभु जगन्नाथ, अब रूठी हुई देवी लक्ष्मी को रसगुल्ला खिलाकर मनाएंगे
Puri Rath Yatra 2023 जगन्नाथ रथ यात्रा आज से समाप्त हो गई। अपने मौसी के घर में नौ दिन तक रहने के बाद अब प्रभु अपने भाई-बहन के साथ वापस धाम की यात्रा पर निकल पड़े हैं। आज धाम में पहुंचने के बाद उन्हें मां लक्ष्मी के क्रोध का सामना करना पड़ेगा और वह रसगुल्ला खिलाकर उन्हें मनाएंगे। यह यहां की एक अनोखी परंपरा है।
जागरण संवाददाता, पुरी। Puri Rath Yatra 2023: पुरी जगन्नाथ धाम में भाई-बहन के साथ मौसी के घर पहुंचे प्रभु जगन्नाथ जी की वापसी यात्रा शुरू हो गई है। रथयात्रा की ही तर्ज पर महाप्रभु की वापसी की यात्रा निकाली जा रही है। जन्मवेदी से रत्न वेदी तक रथ को खींचने एवं चतुर्धा विग्रहों को रथारूढ़ होते हुए देखने के लिए शहर में लाखों श्रद्धालुओं का जमवाड़ा हुआ है।
जगन्नाथ धाम में हुआ भक्तों का जमावड़ा
रथ के सामने तमाम कलाकारों ने मिलकर नृत्य संगीत से माहौल को पूरी तरह से भक्तिपूर्ण बना दिया है। सुबह से ही नृत्य गीत के साथ पूरा बड़दांड परिसर प्रकंपित हो रहा है। जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ भक्तों का पुरी में जमावड़ा हो रहा है। ऐसे में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए जगन्नाथ धाम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
चतुर्धा विग्रहों की पहंडी बिजे समय से पहले शुरू
जानकारी के मुताबिक, निर्धारित समय से पहले ही चतुर्धा विग्रहों की पहंडी बिजे शुरू हो गई है। सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन जी को दर्प दलन रथ पर विराजमान किया गया। इसके बाद प्रभु बलभद्र जी को तालध्वज रथ पर लाया गया। प्रभु बलभद्र जी के रथ पर विराजमान होने के बाद देवी सुभद्रा जी को पहंडी में लाकर दर्प दलन रथ पर विराजमान किया गया। अंत में कालिया ठाकुर प्रभु जगन्नाथ जी को पहंडी में रथ पर लाया गया।
शहर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
चतुर्धा विग्रहों के पहंडी के समय घंट-घंटा एवं हरिबोल से पूरा शरधाबाली परिसर प्रकंपित हो रहा था। नृत्यांगनाएं नृत्यगीत में मशगूल रहे थो महाप्रभु की एक झलक पाने के लिए देश के कोने कोने से पहुंचे श्रद्धालु हरि बोल के जयकारे लगाते रहे। पूरा माहौल भक्तिमय बन गया है। विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की ही तर्ज पर वापसी यात्रा में सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
प्रभु जगन्नाथ से नाराज हैं मां लक्ष्मी
धाम लौटने पर प्रभु जगन्नाथ को माता लक्ष्मी के क्रोध का सामना करना पड़ेगा। देवी लक्ष्मी को मनाने या प्रसन्न करने के लिए प्रभु जगन्नाथ उन्हें रसगुल्ला खिलाते हैं। इस विशेष अनुष्ठान के बाद भगवान जगन्नाथ के लिए मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं। माता लक्ष्मी इसएि गुस्सा जाती हैं क्योंकि प्रभु जगन्नाथ उन्हें साथ लिए बिना अपने भाई-बहन के साथ मौसी घर चले जाते हैं।
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