ओडिशा में जंगलों की आग निगल रही हरियाली, तड़प रहे हैं सिमलीपाल नेशनल पार्क के बेजुबान, खाने-पीने के पड़े लाले
सिमलीपाल नेशनल पार्क (एसएनपी) के जंगलों में धधक रही आग इसकी हरियाली को नष्ट कर रही है। इस पर काबू पाने के प्रयास जारी है लेकिन अभी सफलता हाथ नहीं लगी है। जंगली जानवरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ओडिशा
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमलीपाल नेशनल पार्क (एसएनपी) के जंगलों में लगी आग का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्रों ने सोमवार को बताया कि पिछले तीन महीनों में 452 फायर प्वाइंट की पहचान की गई है। राष्ट्रीय उद्यान में जंगल की आग तेजी से बढ़ रही है, जो एशिया में दूसरा सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व है। वन विभाग के अधिकारी, दमकलकर्मी और स्थानीय लोग आग बुझाने में जुटे हैं, लेकिन आग पर पूरी तरह काबू नहीं पा सके हैं।
गर्मी के कारण फैल रही आग
अधिकारियों ने बताया कि सिमलीपाल नेशनल पार्क में 1,076 प्रकार की पौधों की प्रजातियां, 94 प्रकार के ऑर्किड, औषधीय पौधों की 604 किस्में, स्तनधारियों की 45 प्रजातियां, 304 प्रकार के पक्षी, 62 विभिन्न प्रकार के सरीसृप और 20 प्रकार के उभयचर मौजूद हैं। वन्यजीव अभयारण्य जो कभी ऑक्सीजन का भंडार हुआ करता था, अब धुएं से भरे कार्बन डाइऑक्साइड उगल रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित शाकाहारी जानवर और पक्षी हैं।भीषण गर्मी के कारण पशु-पक्षी सुरक्षित आश्रय की तलाश में जंगल से पलायन कर रहे हैं ।
जंगली जानवरों पर आई बड़ी मुसीबत
इस प्रक्रिया में वे जंगलों से बाहर आ रहे हैं और शिकारियों का शिकार हो रहे हैं। जंगल की आग के कारण, पशु और पक्षियों को भोजन की भारी कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। शाकाहारी जानवरों में हिरण, सांभर, हाथी, खरगोश, जंगली सूअर और रास्ट्रीय उद्यान की तलहटी में रहने वाले लोगों का पशुधन जंगल के अंदर वृक्षारोपण और घास पर निर्भर करता है। जमीन उजड़ने से इन जानवरों का अस्तित्व दांव पर है।
आग को लेकर स्थानीय संगठन ने दी चेतावनी
स्थानीय लोगों ने बताया कि सिमलीपाल नेशनल पार्क के अंदर मौजूदा आग बुझाना मुश्किल होगा क्योंकि गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। स्थानीय संगठन 'भंजा सेना' ने चेतावनी दी है कि अगर आग पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो वे बारीपदा में जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने आंदोलन शुरू करेंगे।
आग से खत्म हुई जंगल की हरियाली
जानकारी के अनुसार, बारीपदा सर्कल के तहत बारीपदा, रायरंगपुर और करंजिया डिवीजन के तहत सिमलीपाल और आसपास के जंगलों में आग तेजी से फैल रही है। भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा किए गए उपग्रह मानचित्रण से उपलब्ध विवरण के अनुसार, सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के उत्तर और दक्षिण वन प्रभाग के अंतर्गत 97 स्थान जल रहे हैं। उत्तरी वन मंडल के 72 प्वाइंट और दक्षिणी डिवीजन के 25 प्वाइंट में आग लगी हुई है। आग की लपटें तेजी से फैल रही हैं और इस प्रक्रिया में आग जंगल की हरियाली को निगल रही हैं।
जंगल की आग पर मौसम की मार
जिले में 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान के साथ जंगल की आग का स्थानीय मौसम की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। शुरुआत में जनवरी में जहां केवल दो फायर प्वाइंट देखे गए थे, वहीं फरवरी में 157 नए फायर पॉइंट बताए गए। फिर एक और तेज उछाल आया और 5 मार्च तक अन्य 293 फायर पॉइंट की पहचान की गई।
आग पर काबू पाने के प्रयास
आग बुझाने के लिए सिमलीपाल टाइगर रिजर्व के उत्तर और दक्षिण डिवीजनों , बारीपदा, करंजिया और रायरंगपुर वन डिवीजनों में 6,432 किलोमीटर लंबी फायर लाइनें चिह्नित की गई हैं। सिमलीपाल नेशनल पार्क के करीब 1,167 स्थानों पर जंगल की आग बुझाने के ऊपर जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं, जबकि आग बुझाने के लिए 88 अग्निशमन दस्ते बनाए गए हैं।
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व के परियोजना निदेशक टी अशोक ने कहा कि वन विभाग विभिन्न वन क्षेत्रों के तहत अग्निशमन में 647 ब्लोअर का भी उपयोग कर रहा है और आग को फैलने से रोकने के लिए 14,766 महुआ के पेड़ों के नीचे की सफाई की है। पर्यावरणविदों और प्रकृति प्रेमियों ने मांग की है कि इस राष्ट्रीय धरोहर को आग से बचाने के लिए सभी पक्षों से संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा है कि सभी क्षेत्रों के लोगों को आग बुझाने में भाग लेना चाहिए।
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