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    Raja Festival 2022: ओडिशा में महावारी के उत्‍सव रज पर्व की धूम, जानिए इन चार दिन तक क्‍या करती हैं महिलाएं

    By Babita KashyapEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 12:21 PM (IST)

    Raja Festival 2022 ओडिशा में चार दिवसीय रज पर्व आरंभ हो गया है। कुमारी कन्याओं के रजोत्सव का यह महापर्व लगभग चार दिनों तक बड़े ही आन्नद-मौज के साथ ओडिशा में मनाया जाता है। इस दिन घर की बालिकाएं युवतियां महिलाएं तथा बुजुर्ग महिलाएं पूरे दिन मौज-मस्ती करतीं हैं।

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    Raja Festival 2022: पहली रज हर्षोल्लास के साथ ओडिशा के घर-घर में मनाया जाता है

    भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। Raja Festival 2022: ओडिशा का लोकपर्व, कृषि पर्व तथा रजस्विता कन्या पर्व, रज आज से आरंभ हो गया है। इसके मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा ओडिशा में रही है। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत दक्षिण ओडिशा से हुई जो अब पूरे ओडिशा का लोकपर्व बन चुका है। पहली रज हर्षोल्लास के साथ ओडिशा के घर-घर में मनाया जाता है और 16 जून तक मनेगा। कहते हैं कि जिस प्रकार महिलाओं के प्रतिमास मासिक धर्म होता है, जो उसके शरीर-विकास का प्रतीक होता है। ठीक उसी प्रकार कुमारी कन्याओं के रजोत्सव का यह महापर्व लगभग चार दिनों तक बड़े ही आन्नद-मौज के साथ ओडिशा में मनाया जाता है। उस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्त्व है। ऐसी मान्यता है कि उससे भावी लोकजीवन में शांति तथा अमन-चैन आता है। रजोत्सव का अपना सामाजिक महत्‍व भी है।

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    पहली रज को घर की बालिकाएं, युवतियां, महिलाएं तथा बुजुर्ग महिलाएं पूरे दिनभर आपस में मिलकर मौज-मस्ती करतीं हैं। नाच-गान करतीं हैं। लूडो खेलती हैं। रज पर पान खाती हैं। झूला झूलती हैं। परम्परागत साड़ी और पहनावा पहनती हैं। अपने हाथों मेंहदी रचाती हैं। मान्यता है कि जिस प्रकार धरती वर्षा के आगमन के लिए अपने आपको तैयार करती है, ठीक उसी प्रकार पहली रज को कुमारी कन्याएं, अविवाहिताएं अपने आपको तैयार करतीं हैं। सुबह में उठकर वे अपने शरीर पर हल्दी-चंदन का लेप लगातीं हैं। पवित्र स्नान करतीं हैं। महाप्रभु श्री जगन्नाथ भगवान की पूजा करतीं हैं। अपने भावी सुखमय जीवन हेतु भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करतीं हैं। आरंभ के तीन दिन तक महिलाएं बिना पका हुआ भोजन करतीं हैं। खाने में नमक तक नहीं लेतीं हैं। पैरों में चप्पल तक नहीं पहनतीं। लगातार तीन दिनों तक घर के काम में किसी प्रकार काट-छिल भी नहीं करतीं हैं। सबसे रोचक बात यह है कि उन दिनों (चार दिनों तक) ओडिशा में धरती में कोई खुदाई भी नहीं होती है।

    अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है रज पर्व

    रजोत्सव में मौसमी फल कटहल का कोवा, आम, केला, लीची और अन्नानास आदि खातीं हैं। वे ओडिशा का परम्परागत भोजनः पूड़-पीठा खाती हैं। इस साल दो सालों के अंतराल के बाद ओडिशा के घर-घर में तथा ओडिशा राज्य सरकार तथा अन्य संगठनों के सहयोग से सामूहिक रुप में मनाया जा रहा है। भुवनेश्वर-कटक राजमार्ग के ग्रैण्ड आवास परिसर में पहली बार रज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है, जिसमें फैशन बाजार, म्यूजिक-डांस, गेम्स तथा कीड्स जोन एवं फूड फेस्टिवल के रुप में मनाया जा रहा है। वहीं भुवनेश्वर रवींद्रमण्डप, जयदेवभवन, भंज कलामण्डप, उत्कल मण्डप में रज के अवसर अनेकानेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा ओडिशा सरकार के यात्रीनिवास बीजेबी कालेज के सामने रज के अवसर पर अनेक प्रकार के पूड़-पीठा तथा झूला झुलने की सुंदर व्यवस्था की गई है।

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