Puri news: जगन्नाथ मंदिर की तस्वीरें लीक करने पर बढ़ा विवाद, मंदिर प्रशासन ने ASI से मांगा जवाब
पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने ASI से मंदिर के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करने पर स्पष्टीकरण मांगा है। इन तस्वीरों में रत्न भंडार और अन्य प्रतिबंधित क्षेत्र शामिल थे। मंदिर प्रशासन ने आध्यात्मिक मानदंडों के उल्लंघन पर चिंता जताई है क्योंकि मंदिर परिसर में मोबाइल फोन और कैमरे प्रतिबंधित हैं। ASI ने विवाद बढ़ने पर तस्वीरें हटा दी हैं।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने पुरी मंदिर परिसर के भीतर की संवेदनशील तस्वीरों की एक सीरीज इंटरनेट मीडिया पर अपलोड किए जाने के बाद औपचारिक रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से स्पष्टीकरण मांगा है।
विवाद, ASI के हाल ही में पुनर्निर्मित रत्न भंडार (कोषागार), भोग मंडप प्रवेश द्वार, सात पाहाच (सीढ़ी) और घंटी द्वार की हाई-रिज़ॉल्यूशन फोटोज को पोस्ट करने के निर्णय से उपजा है। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद एएसआई ने तस्वीर को इंटरनेट मीडिया से हटा दिया है।
जानकारी के मुताबिक पुरी जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) के प्रतिबंधित क्षेत्रों के अंदर ली गई इन तस्वीरों को आधिकारिक एएसआई वेबसाइट पर 95 दिनों की संरचनात्मक बहाली परियोजना के पूरा होने के अवसर पर एक जश्न के हिस्से के रूप में अपलोड किया गया है।
श्रद्धालुओं में आक्रोश
जगन्नाथ मंदिर के मौजूदा सुरक्षा दिशानिर्देशों स्पष्ट है कि मंदिर परिसर के भीतर मोबाइल फोन और कैमरे पर सख्त प्रतिबंध है। यहां तक कि सेवकों को भी गर्भगृह में फोन ले जाने से रोक दिया जाता है। इसके बावजूद मंदिर के आंतरिक लेआउट को प्रदर्शित किया गया था। एएसआई की इस हरकत पर मंदिर प्रशासन से लेकर आम भक्तों तक ने सवाल खड़े किए हैं। हालांकि एएसआई ने विवाद के तुरंत बाद छवियों को हटा दिया है।
एसजेटीए ने एएसआई से मांगा स्पष्टीकरण
इसके जवाब में एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने एएसआई को पत्र लिखकर आध्यात्मिक मानदंडों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की और जवाबदेही की मांग की। पत्र में जोर दिया गया है कि 12वीं सदी के मंदिर की आध्यात्मिक पवित्रता और पवित्र वातावरण को हमेशा संरक्षित रखा जाना चाहिए। मंदिर प्रशासन ने लिखा है कि आंतरिक दृश्यों का आकस्मिक प्रसार सार्वजनिक विश्वास और धार्मिक भावनाओं को कमजोर करता है।
पाढ़ी ने एएसआई को अलर्ट किया कि इस तरह का कदम भक्तों को अपमानित कर सकता है। उन्होंने संस्थान से भविष्य के संचार में अधिक विवेक का प्रयोग करने का आग्रह किया। इस मामले को तुरंत एएसआई के महानिदेशक के ध्यान में लाया गया।
जिम्मेदारों की तरफ से नहीं आया जवाब
विडंबना यह है कि विवादास्पद तस्वीरें मूल रूप से श्रीमंदिर में एक प्रमुख बहाली के प्रयास के सफल समापन को उजागर करने के लिए थीं। पाढ़ी के अनुसार, रत्न भंडार की मरम्मत में 520 बड़े ग्रेनाइट पत्थरों का प्रतिस्थापन, नौ स्टेनलेस स्टील बीम के अंदर और छह बीम के बाहर सुदृढीकरण और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक कार्य किए गए हैं। यह कार्य 95 दिनों में पूरा हुआ था, जिसमें 333 घंटे से अधिक विशेषज्ञ कार्य थे।
हालांकि आंतरिक रोशनी और सौंदर्य संवर्द्धन के कार्य अभी भी लंबित हैं। अब तक, यह स्पष्ट नहीं है कि एएसआई ने किन प्रावधानों के तहत पूर्व अनुमति के बिना प्रतिबंधित क्षेत्रों से तस्वीरें खींची और दृश्यों को साझा किया। इसके अलावा, न तो एएसआई और न ही संस्कृति मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि आंतरिक जांच शुरू की जाएगी या नहीं।
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