इतिहास बन गया तालचेर थर्मल पावर: फरवरी 1968 को हुई थी स्थापना, 20 हजार लोगों की आजीविका प्रभावित
Talcher Thermal Power ओड़िशा का तालचेर थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीसी) न सिर्फ अब इतिहास बन गया है लोगों को इस कारखाना के जरिए जो सस्ती बिजली उपलब्ध हो पा रही थी वह भी बंद हो गई है। हजारों लोग एवं उनके परिवार पर आजीविका के भी लाले पड़ गए हैं।

अनुगुल, जागरण संवाददाता। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में ओड़िशा का कभी सिरमौर्य कहे जाने वाला तालचेर थर्मल पावर स्टेशन (Talcher Thermal Power Station) न सिर्फ अब इतिहास बन गया है बल्कि प्रदेश के लोगों को इस कारखाना के जरिए जो सस्ती बिजली उपलब्ध हो पा रही थी, वह भी बंद हो गई है। इसके साथ ही इससे जुड़े रहने वाले हजारों लोग एवं उनके परिवार पर आजीविका के भी लाले पड़ गए हैं।
अनेक सफल कहानी का साक्षी रहने वाला यह टीटीपीएस अब अपने अस्मिता को ही खत्म होने का दिन गिन रहा है। इसकी उम्र पूरी हो जाने की बात कहकर हमेंशा के लिए इसे बंद कर दिया गया है। टीटीपीएस की चिमनी से धुंआ निकलना बंद होते ही हजारों कर्मचारियों के घर संसार पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ा है। इससे 20 हजार से अधिक लोगों की जीवन जीविका प्रभावित हुई है। टीटीपीएस को चालू रखने के लिए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अनुरोध एवं केन्द्र मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के पत्र को भी एनटीपीसी महत्व नहीं दे रहा है। यह प्रोजेक्ट अब और नहीं चलेगा, एनटीपीसी ने बता दिया है। इसे लेकर तालचेर श्रमिक में अशांति का माहौल है और स्थिति बिगड़ने की भी सम्भावना जतायी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को फरवरी 1968 को तालचेर में स्थापित किया गया था। अब इसे हमेशा के लिए बंद करने को एनटीपीसी के अधिकारियों ने नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही एक अप्रैल से बिजली उत्पादन को बंद कर दिया गया है। एनटीपीसी की 6 यूनिट से 460 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था, जिसे 1 अप्रैल से बंद कर दिया गया है। वर्ष 2001 में सरकार के साथ करार खत्म होने के बाद पुन: इसे 31 मार्च 2021 तक के लिए एक्सटेंशन किया गया था।
कारखाना बंद करने के पीछे है एकाधिक कारण: समूह महाप्रबंधक एनटीपीसी
बंद करने के पीछे एकाधिक कारण दर्शाया गया है। टीटीपीएस के समूह महाप्रबंधक देवेन्द्र नाथ तिवारी ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट की उम्र खत्म हो गई है। काफी पुराना प्रोजेक्ट होने से इसकी मशीनरी और बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। परिणामस्वरूप मशीनरी खराब होने पर ठीक कराने में असुविधा होती है। कुछ जगहों पर कर्मचारियों के लिए खतरा है, श्रमिक सुरक्षा को लेकर हर समय आशंका बनी रहती है। प्रदूषण बोर्ड की शर्तावली को भी पूरा करने में समस्या आ रही है।
कारखाना चालू करने की मांग में श्रमिक कर रहे हैं प्रदर्शन
इस तरह के अनेकों कारणों से 6 यूनिट में ताला डाल दिया गया है। यहां पर काम करने वाले करीबन डेढ़ हजार ठेका श्रमिकों को प्लांट के अन्दर जाने की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में ये श्रमिक धरना प्रदर्शन भी किए हैं। प्लांट को चलाने के लिए ये ठेका कर्मचारी मांग कर रहे हैं। इन ठेका कर्मचारियों का कहना है कि यदि प्लांट को नहीं चलाया गया तो फिर तालचेर में आर्थिक अवरोध किया जाएगा। एनटीपीसी, नालको को कोयला निर्यात बंद करने के साथ ही यहां से कोयला बाहार नहीं जाने दिया जाएगा। तालचेर के विधायक ब्रज किशोर प्रदान ने आन्दोलन कर रहे श्रमिकों से मुलाकात कर उन्हें अपना नैतिक समर्थन दिया है। एनटीपीसी का कोई अधिकारी इन श्रमिकों के पास नहीं आया है। आगे यहां कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की सम्भावना है, ऐसे में इलाके को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।