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    तलचेर में देश का पहला कोल-गैसीफिकेशन यूरिया प्लांट पूरा होने के करीब, खाद के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' का नया स्तंभ

    By Santosh Kumar PandeyEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 01:56 PM (IST)

    ओडिशा के तलचेर में देश का पहला कोल गैसीफिकेशन आधारित यूरिया प्लांट जल्द शुरू होगा। यह उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है। 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को बढ़ावा देते हुए, यह प्लांट सालाना 1.27 मिलियन टन यूरिया का उत्पादन करेगा। पर्यावरण अनुकूल तकनीक का उपयोग करते हुए, यह क्षेत्रीय विकास और रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।

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    तालचेर फर्टीलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) 

    संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। ओडिशा के तलचेर में बन रही देश की पहली कोल-गैसीफिकेशन आधारित यूरिया प्लांट अब पूरा होने के करीब है। तालचेर फर्टीलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट न केवल देश में यूरिया उत्पादन को नया आयाम देगा, बल्कि ऊर्जा-क्षेत्र की तकनीक में भी भारत को अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करेगा।

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    12.7 लाख टन की सालाना क्षमता 

    इस प्लांट की सबसे बड़ी खासियत है कि यह कोयले को गैस में बदलकर यूरिया तैयार करेगा। वार्षिक 12.7 लाख टन उर्वरक उत्पादन क्षमता वाला यह प्लांट देश में बढ़ती खाद की मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।

    कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि प्लांट शुरू होने से यूरिया की उपलब्धता बढ़ेगी, किसानों को समय पर खाद मिलेगी और आयात खर्च कम होगा। 

    काम 70% पूरा, मशीनें लगाने का अंतिम दौर जारी

    सूत्रों के अनुसार, प्लांट का 70% से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। गैसीफायर, कम्प्रेसर, बॉयलर, प्रिलिंग टॉवर समेत लगभग सभी प्रमुख उपकरणों की स्थापना तेज गति से हो रही है। रात में रोशनी से जगमगाती साइट यह संदेश दे रही है कि प्रोजेक्ट जल्द तैयार होने वाला है।

    13,277 करोड़ की लागत, हजारों को रोजगार

    यह मेगा प्रोजेक्ट ₹13,277 करोड़ की भारी लागत से बनाया जा रहा है। निर्माण स्थल पर प्रतिदिन करीब 10,000 से अधिक श्रमिक और इंजीनियर काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह प्रोजेक्ट रोजगार और विकास की नई संभावनाएं लेकर आया है। प्लांट शुरू होने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों युवाओं को स्थायी रोजगार भी मिलेगा।

    प्राकृतिक गैस पर निर्भरता कम — आत्मनिर्भर भारत को मजबूती

    अब तक भारत बड़ी मात्रा में प्राकृतिक गैस आधारित यूरिया पर निर्भर रहा है। कोयले से यूरिया बनाने की इस आधुनिक तकनीक के जरिए गैस आयात पर दबाव कम होगा, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और देश उर्वरक उत्पादन के क्षेत्र में मजबूत बनेगा।

    यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

    तलचेर: कोयले के शहर से उभरता औद्योगिक हब

    कभी केवल कोयला खदानों के लिए पहचाना जाने वाला तलचेर अब वैश्विक तकनीक का केंद्र बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

    स्थानीय लोगों में उत्साह है कि जब पहली यूरिया की बोरी प्लांट से निकलेगी, वह पल इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के लिए गर्व का विषय होगा।