सुप्रीम कोर्ट की ओडिशा सरकार को कड़ी फटकार, अवैध खनन के 2700 करोड़ बकाया वसूली में देरी क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को अवैध खनन के 2700 करोड़ रुपये की बकाया वसूली में देरी पर फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार से इस मामले में ढिलाई का कारण पूछा है और दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। सरकार ने बकाया राशि की वसूली के लिए सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की ओडिशा सरकार को कड़ी फटकार
संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। अवैध खनन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर 2700 करोड़ रुपये की बकाया वसूली में इतनी ढिलाई क्यों बरती जा रही है।
शीर्ष अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही से यह मामला वर्षों से लटका हुआ है, जिससे यह संदेह होता है कि कहीं सरकार जानबूझकर खनन लीज धारकों को राहत तो नहीं दे रही।
17,000 करोड़ रुपये का मुआवजा चुकाने का आदेश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि अवैध खनन से राज्य को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, ऐसे में सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह हर हाल में बकाया राशि की वसूली सुनिश्चित करे। अदालत ने कहा कि जनता की संपत्ति को लीज धारकों की मुनाफाखोरी के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के कई खनन लीज धारकों को अवैध खनन के लिए करीब 17,000 करोड़ रुपये का मुआवजा चुकाने का आदेश दिया था। राज्य सरकार अब तक लगभग 14,300 करोड़ रुपये की वसूली कर चुकी है, लेकिन अभी भी करीब 2700 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इतनी बड़ी राशि की वसूली में सुस्ती अस्वीकार्य है।
अब तक कितनी राशि वसूली गई
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को दो सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि अब तक कितनी राशि वसूली गई है और शेष रकम वसूलने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।
वहीं, राज्य सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि बकाया राशि की वसूली के लिए लीज धारकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार ने कहा कि कुछ कंपनियों की संपत्तियां कुर्क करने और लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

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