वेदांता यूनिवर्सिटी के भूमि अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, संबित पात्रा ने बताया- धर्म की हुई जीत
वेदांता विश्वविद्यालय के भूमि अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए ओडिशा सरकार को फटकार लगाया है और साथ ही साथ वेदांता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसे भाजपा के वरिष्ठ नेता संबित पात्रा ने धर्म की जीत करार दिया है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। वेदांता विश्वविद्यालय भूमि अधिग्रहण मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ओडिशा सरकार पर निशाना साधा। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले को 'धर्म' की जीत बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार
यह बयान उच्चतम न्यायालय द्वारा ओडिशा उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखने के बाद आया है, जिसमें परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने प्रस्तावित परियोजना के लिए 10,000 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को 'अवैध' करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को फटकार लगाते हुए वेदांता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
कंपनी को दी गई जमीन के हिस्से बहती हैं दो नदियां
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि वेदांता के साथ राज्य सरकार द्वारा किए गए एमओयू ने कंपनी को 10,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की अनुमति दी। भूमि के उस हिस्से में दो नदियां हैं- नुआ नदी और नाला नदी इसके माध्यम से बहती हैं। एक बार अधिग्रहण के बाद, निजी कंपनी नदियों की मालिक होती, जो भारतीय संविधान के तहत अवैध है। पात्रा ने कहा कि नदियां सार्वजनिक संपत्ति हैं और अगर उन्हें कॉर्पोरेट को दे दिया जाता है, तो वे इसके जल प्रवाह को नियंत्रित करेंगे, तो स्थानीय निवासी प्रभावित होंगे।
कांग्रेस ने भी राज्य सरकार को घेरा
कांग्रेस ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयदेव जेना ने कहा कि राज्य सरकार को न केवल झटका लगा है, बल्कि वेदांता विश्वविद्यालय का प्रस्ताव प्रभावी रूप से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। राज्य सरकार ने वेदांता को वह जमीन दिलाने में मदद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने में संकोच नहीं किया। हम उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक निजी कंपनी की मदद करने के लिए कानून से परे जाकर काम किया। उन्होंने न केवल एक कॉर्पोरेट के पक्ष में कानून को झुकाने की कोशिश की, बल्कि वे भगवान जगन्नाथ की भूमि को भी धोखा देना चाहते थे।
बीजद की सफाई- जनता की भलाई के लिए करते रहेंगे काम
वहीं, सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने वेदांता के प्रति अनुचित सहानुभूति दिखाने के आरोपों का खंडन किया है। पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री प्रमिला मलिक ने कहा है कि विपक्ष का काम सरकार के हर कदम का विरोध करना है। हम लोगों की भलाई के लिए जो भी काम करेंगे, वे शिकायत करेंगे। इसलिए इस मामले में भी उनके दृष्टिकोण में कुछ भी नया नहीं है। लेकिन राज्य सरकार राज्य के विकास के लिए निर्णय लेना जारी रखेगी।
2010 में भी हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
गौरतलब है कि इससे पहले 2010 में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को रद्द कर दिया और अधिकारियों को अधिग्रहित भूमि को उनके मालिकों को वापस करने का निर्देश दिया था। बाद में ओडिशा सरकार और अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने पुरी में प्रस्तावित 15,000 करोड़ रुपये की वेदांता विश्वविद्यालय परियोजना को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। ओडिशा सरकार ने 2006 में विश्वविद्यालय के लिए वेदांता फाउंडेशन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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