करोड़ों का मार्केट कॉम्प्लेक्स खंडहर में तब्दील, प्रशासनिक लापरवाही और गलत योजना का बना शिकार
सुंदरगढ़ मेडिकल कॉलेज के पास बना करोड़ों का मार्केट कॉम्प्लेक्स उपेक्षा के चलते खंडहर हो गया है। 2019 में बना यह कॉम्प्लेक्स छात्रों और स्थानीय लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए था जिसमें 24 दुकानें बनाई गई थी। लेकिन ग्राहकों की कमी के कारण दुकानें कभी खुली ही नहीं। प्रशासनिक लापरवाही और गलत योजना के चलते यह परियोजना विफल हो गई।

जागरण संवाददाता, राउरकेला। सुंदरगढ़ मेडिकल कॉलेज के पास बना करोड़ों की लागत का मार्केट कॉम्प्लेक्स आज उपेक्षा और लापरवाही के चलते खंडहर में तब्दील हो गया है। इस कॉम्प्लेक्स का निर्माण वर्ष 2019 में जिला खनिज निधि की मदद से किया गया था और उस समय इसके निर्माण पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
इसका उद्देश्य यह था कि मेडिकल कॉलेज और छात्रावास में पढ़ने-रहने वाले छात्र-छात्राओं और आसपास के स्थानीय लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें आसानी से उपलब्ध हो सके। योजना के तहत मेडिकल कॉलेज परिसर के पीछे झारसुगुड़ा रोड से थोड़ी दूरी पर 24 आधुनिक दुकानें बनाई गईं।
दुकान आवंटित लेकिन नहीं आते ग्राहक
उम्मीद थी कि यह इलाका एक सक्रिय व सुविधाजनक बाजार के रूप में विकसित होगा। लेकिन आज, छह साल बीत जाने के बाद भी इस मार्केट कॉम्प्लेक्स का हाल बेहद खराब है। दुकानों का निर्माण तो हो गया, परंतु ग्राहकी न मिलने के कारण इन्हें कभी खोला ही नहीं गया।
चूंकि कॉम्प्लेक्स मुख्य सड़क से पीछे स्थित है और बाहर से नजर भी नहीं आता, लोग यहां आना ही पसंद नहीं करते। नगर परिषद ने उजाड़े गए 24 दुकानदारों को यहां दुकानें दी थीं। शुरुआत में दुकानदारों ने आवंटित जगह पर कब्जा भी कर लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि यहां व्यापार संभव नहीं है।
किराया और समझौते की औपचारिकता नहीं
ग्राहकों का अभाव और सुनसान माहौल देखकर दुकानदारों ने दुकानों पर ताले जड़ दिए। दुकानदारों का कहना है कि अगर वे दुकान खोल भी लें तो दिनभर में शायद ही कोई ग्राहक यहां पहुंचे। नगर परिषद की ओर से अभी तक किराया और समझौते की औपचारिकता भी पूरी नहीं हुई है।
लिहाजा दुकानदारों ने इस योजना से किनारा कर लिया। आज हालत यह है कि जिन 24 दुकानदारों को यहां जगह दी गई थी, वे अब मजबूरी में सड़क किनारे छोटी-छोटी दुकानें लगाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।
कॉम्प्लेक्स की लगातार उपेक्षा के कारण अब चारों ओर झाड़ियां उग आई हैं और पूरा परिसर वीरान जंगल जैसा नजर आने लगा है। लोग यहां से गुजरते हैं तो मानो किसी छोड़ी हुई जगह का आभास होता है।
मार्केट कॉम्प्लेक्स विकास की बजाय विफलता का उदाहरण
जिस उद्देश्य से इस परियोजना की नींव रखी गई थी, वह एकदम नाकाम साबित हुई है। एक करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया यह काम्प्लेक्स न तो छात्रों की सुविधा बढ़ा पाया और न ही स्थानीय व्यापारियों की।
उल्टा यह आज प्रशासनिक लापरवाही, गलत योजना और संसाधनों की बर्बादी की एक जीती-जागती मिसाल बनकर खड़ा है। कुल मिलाकर सुंदरगढ़ का यह मार्केट कॉम्प्लेक्स विकास की बजाय विफलता और कागजी योजनाओं की हकीकत को सामने लाता है, जहां जनता के पैसे से बनी बड़ी परियोजनाएं इस्तेमाल में न आकर जरूरत से पहले ही उजाड़ और बर्बाद हो रही हैं।
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