माओवादी नेता आजाद के लिए ओडिशा सरकार ने गठित की विशेष अदालत, 37 मामलों की होगी सुनवाई
ओडिशा सरकार ने माओवादी नेता आजाद के लिए एक विशेष अदालत का गठन किया है। इस अदालत में आजाद से जुड़े 37 मामलों की सुनवाई होगी। यह कदम ओडिशा में माओवादी ग ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने माओवादी नेता दुन्ना केसव राव उर्फ़ आज़ाद (52) के मामलों की जल्दी सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अदालत का गठन किया है। आज़ाद वर्ष 2011 से न्यायिक हिरासत में है। गृह विभाग की ओर से गुरुवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए ओडिशा हाई कोर्ट से परामर्श कर गजपति जिले के पारा-लाखेमुंडी में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की नई अदालत स्थापित की है। यह अदालत पूरे राज्य में लंबित आज़ाद से जुड़े मामलों की विशेष रूप से सुनवाई करेगी।
फिलहाल यह अदालत पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई नहीं करेगी। राज्य में यह पहला अवसर है जब किसी एकमात्र आरोपी के लंबित मामलों के निस्तारण के लिए अलग से अदालत बनाई गई है।
आज़ाद पर ओडिशा और आंध्र प्रदेश में कम से कम 37 आपराधिक मामले चल रहे हैं। वह 2008 में वीएचपी नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के मुख्य आरोपी हैं, जिसकी वजह से कंधमाल में भयंकर सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में 39 लोगों की मौत हुई थी और हजारों घरों को आग के हवाले कर दिया गया था।
इसके अलावा आज़ाद पर 2008 में नयागढ़ पुलिस शस्त्रागार पर हमले, 2006 में आर. उदयगिरि जेल तोड़ने और कंधमाल के तूमुड़ीबंध थाना क्षेत्र में एक हत्या मामले सहित कई गंभीर आरोप हैं। नयागढ़ हमले में 14 लोगों, जिनमें 13 पुलिसकर्मी शामिल थे, की जान गई थी।
आज़ाद अब तक 10 मामलों में बरी हो चुका है। अपनी सुनवाई तेज करने की मांग को लेकर वह कई बार जेल में भूख हड़ताल भी कर चुका है। इसी वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश सरकारों को उसके मामलों में तेजी लाने के लिए विशेष अदालत गठन पर विचार करने का निर्देश दिया था।
आज़ाद माओवादी संगठन की ओडिशा स्टेट ऑर्गेनाइजिंग कमेटी (ORSOC) का सदस्य था। उसने 18 मई 2011 को आंध्र प्रदेश पुलिस के सामने समर्पण किया था और उसके बाद 1 जून 2011 को उसे ओडिशा पुलिस को सौंप दिया गया।

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